शब्द विचार किसे कहते हैं/, परिभाषा, शब्द के भेद और उदाहरण Reet, CTET, teacher bharti, RBSE , cbse class 6 to 12 (Shabd vichar in hindi, paribhasha, bhed, udaharan)
हिन्दी व्याकरण में शब्द विचार का बहुत महत्व है। शब्द विचार के द्वारा हिन्दी भाषा संरचना और विकास के बारे में जानकारी मिलती है। शब्द विचार में तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी, विकारी और अविकारी आदि शब्दों के बारे में अध्ययन करेंगे।
“शब्द विचार हिन्दी व्याकरण का महत्वपूर्ण हिस्सा है। सार्थक शब्दों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी शब्द का पूर्ण रूप से ज्ञान होना करना शब्द विचार कहलाता है।”
इसमें शब्द की उत्पत्ति ,रचना ,प्रयोग, अर्थ, भेद उपभेद का ज्ञान के आधार पर अध्ययन करते हैं। इसमें भाषा की संरचना, विकास, और उनके कार्य प्रणाली को समझ सकते हैं।
Shabd vichar in Hindi,
शब्द की परिभाषा
शब्द किसे कहते हैं?, shabd vichar in Hindi
“दो या दो से अधिक वर्णों से बने सार्थक ध्वनि समूह को शब्द कहते हैं।”
शब्द के भेद उदाहरण सहित ( Shabd vichar in Hindi)
शब्द विचार किसे कहते हैं, ( shabd vichar in hindi ) में शब्दों को मुख्य रूप से चार भागों में बांटा गया है :
1. उत्पत्ति या स्रोत के आधार पर
2. रचना /बनावट के आधार पर
3. प्रयोग के आधार पर
4. अर्थ के आधार पर
तत्सम का विच्छेद करके देखें तत् + सम। जिसका अर्थ होता है – उसके समान ।
अर्थात हिन्दी भाषा में प्रयुक्त मूल संस्कृत भाषा के शब्दों को तत्सम कहते हैं । अतः संस्कृत के वे शब्द जो हिंदी में ज्यों के त्यों प्रयुक्त होते हैं उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं। जैसे :-
कर्ण, कंकण, अट्टालिका, आश्रय
संस्कृत भाषा के वे शब्द जिनका हिंदी भाषा प्रयोग करते समय रूप परिवर्तित हो जाता है। तथा उच्चारण की सुविधा के अनुसार प्रयुक्त किया जाने लगा है, उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं।
जैसे :- ऊंट ,चांद, आंख ,नाक, किवाड़, कबूतर ,कछुआ
ऐसे शब्द जो समय ,परिस्थिति एवं आवश्यकता के अनुसार क्षेत्रीय लोगों द्वारा गढ़ लिए गए हैं उन्हें देशज शब्द कहते हैं। ये शब्द मनगढ़ंत के आधार पर बनाए गए हैं। जिनका प्रयोग लोगों द्वारा अपने क्षेत्र में प्रतिदिन विचारों के आदान-प्रदान में किया जाता है। जैसे :- मुक्का ,फटाफट, खचाखच, ढोर,
भाषा में राजनीति, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कारणों से किसी भी भाषा के या अन्य देशों की भाषाओं के शब्द आ जाते हैं उन्हें विदेशी शब्द कहते हैं। जैसे :-
अंग्रेजी भाषा के शब्द :- टेलर, टीचर , बस, रेल, अफसर , कार, नर्स, स्कूल, चैक, पेपर आदि।
फारसी भाषा के शब्द :-अखबार, जमीन, जलेबी,
गुलाब ,गुब्बारा ,खजाना, आसमान आदि।
चीनी भाषा के शब्द :- चाय ,लीची आदि
जर्मनी भाषा के शब्द :- नाजीवाद, किंडर गार्डन
रूसी भाषा के शब्द :- जार ,सोवियत ,लूना आदि।
यूनानी भाषा के शब्द :- एकेडमी, एटम, बाइबिल आदि।
पुर्तगाली भाषा के शब्द :- अचार, आलपिन, चाबी, कमरा, कमीज, बाल्टी, साबुन आदि
तिब्बती भाषा के शब्द :– लामा
डच भाषा के शब्द :– बम , चिड़िया, तुरुप आदि।:
तुर्की भाषा के शब्द :- – चम्मच, बेगम, मुगल, कैंची, सराय
किसी भाषा में नए शब्द बनाने की प्रक्रिया को रचना या बनावट कहते हैं। रचना के आधार पर शब्दों के तीन भेद होते हैं :-
हिंदी में वे शब्द जो किसी स्थान ,प्राणी ,व्यक्ति ,और वस्तु के लिए प्राचीन काल से ही प्रयुक्त होने के कारण किसी विशिष्ट अर्थ में प्रचलित हो गए हैं और जिनका का प्रयोग वर्तमान में हो रहा है , उन्हें ‘ रूढ़ शब्द ‘ कहते हैं। इन शब्दों के निर्माण के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है तथा इनका कोई अन्य अर्थ भी नहीं होता है। इन शब्दों के कोई सार्थक खंड भी नहीं किया जा सकते हैं। जैसे रात, दिन, घोड़ा, दूध, गाय , रोटी , दीपक , पेड़ ,पत्थर , आकाश, मेंढक ,स्त्री, देवता, देवी आदि।
जैसे :- रात शब्द के खंड किए जाएं तो ( रा + त )होता है। जो कि निरर्थक खंड हैं।
ऐसे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने होते हैं तथा उन शब्दों का अपना पृथक अर्थ भी होता है। लेकिन वे मिलकर अपने मूल अर्थ के साथ-साथ अन्य अर्थ का भी बोध कराते हैं, उन्हें यौगिक शब्द कहते हैं। हिंदी व्याकरण में सभी संधि ,समास आदि से बने हुए शब्द योगिक शब्द कहलाते हैं। जैसे राष्ट्रपति (राष्ट्र + पति ), विद्यालय (विद्या + आलय), देवालय ( देव + आलय ),विद्यार्थी (विद्या + अर्थी), गणेश ( गण + ईश ),रमेश ( रमा + ईश) आदि।
ऐसे शब्द जो यौगिक तो होते ही हैं, किन्तु एक अनेक अर्थों में से विशेष अर्थ के लिए रूढ़ हो गए हैं, वे शब्द योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं। इसमें वहुब्रीह समास के सभी उदाहरण आते हैं। जैसे :-
जलज :- कमल के लिए
लंबोदर :- गणेश के लिए
चतुर्भुज :- ब्रह्मा के लिए
चक्रधर :- विष्णु के लिए
दशानन :- रावण के लिए
गजानन:- गणेश के लिए
नीलकंठ = नील (नीला रंग )+ कंठ (गला ) यानि ‘ शिव ‘
वे शब्द जिन का लिंग, वचन ,कारक ,और काल के अनुसार रूप परिवर्तित हो जाता है उन्हें विकारी शब्द कहते हैं। विकारी शब्दों में निम्नलिखित शब्द आते हैं।
संज्ञा
सर्वनाम
क्रिया
विशेषण
ऐसे शब्द जिनका लिंग, वचन ,कारक एवं काल के अनुसार रूप परिवर्तित नहीं होता उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं। इनमें निम्नलिखित अव्यय या अविकारी शब्द सम्मिलित हैं।
क्रिया विशेषण :-
जैसे :- यहां, वहां, अब, जब, इधर, उधर, आज, कल, परसों, बाहर, भीतर, नीचे, ऊपर, क्यों, कैसे आदि।
संबंध बोधक :-
के बाहर, के भीतर, के नीचे , के ऊपर, के सामने, की ओर, में, पे, पर आदि।
समुच्चयबोधक :-
किन्तु, परन्तु, इसलिए, या, तो, क्योंकि, आदि।
विस्मयादिबोधक :-
अरे ! आह !, हाय! ,राम-राम !, वाह ! आदि
मुख्य रूप से अर्थ के आधार पर शब्दों के दो भेद होते हैं।
निरर्थक शब्द :- वे शब्द जिनका कोई अर्थ नहीं निकलता है उन्हें निरर्थक शब्द कहते हैं। जैसे :-
खाना – वाना, मुक्का -फुक्का , रोटी – वोटी , चाय – वायु।
सार्थक शब्द :- वे शब्द जिनका कोई अर्थ निकलता हो, उन्हें सार्थक शब्द कहते हैं।
सार्थक शब्दों के प्रकार निम्न हैं :-
जिन शब्दों का प्रयोग एक ही अर्थ में होता है उन्हें एकार्थक शब्द कहते हैं। जैसे :- दिन ,रात ,लड़का ,नदी ,पहाड़ ,गंगा ,यमुना आदि
जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं उन्हें अनेकार्थी शब्द कहते हैं। इनका प्रयोग अलग-अलग अर्थ में किया जाता है । जैसे :- अमृत, सारंग, हरि, आम, गुरु आदि।
वे शब्द जिनका अर्थ समान होता है। अर्थात् अर्थ की दृष्टि से समानता रखने वाले शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहते हैं।
जैसे :- देवता – सुर, देव, अमर, निर्जर
पानी — जल, नीर, अम्बु, सलिल, पर
एक शब्द का दूसरे शब्द के विपरीत अर्थ देने वाले शब्द विलोम शब्द कहलाते हैं। जैसे :-
रात का दिन ,माता का पिता, उच्च का निम्न ,मौखिक का लिखित
युग्म शब्द :- जैसे:- आदि – आदी
गट्ठर – :- लकड़ी या पुस्तकों का समूह
गुच्छा :- चाबियों या अंगूर का गुच्छा
चहचहाना – चिड़िया
कांव – कांव :- कौवा
दहाड़ना। :- शेर
हिनहिनाना :- घोड़ा
कड़कना :- बिजली
खटखटाना :- दरवाजा
छुक – छुक :- रेलगाड़ी
हिन्दी व्याकरण – सहज सीखिए – Class 6 to 12
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