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Hindi Grammar / September 24, 2024

Hindi Vyakaran l सम्पूर्ण हिन्दी व्याकरण । Hindi Grammar Notes by Kanhaiya Singh

Hindi Vyakaran Notes 

हिन्दी व्याकरण Hindi Vyakaran हिन्दी भाषा का महत्वपूर्ण विषय है। इस चैप्टर से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं और Class 6 to 12 तक अध्ययनरत विद्यार्थियों से सवाल पूछे जाते हैं।इस वेबसाइट पर  Hindi Grammar के Short Notes सरल सहज भाषा में तैयार किये जा रहे हैं, जो सभी परीक्षाओं की तैयारी में उपयोगी सहायक सामग्री काम करेंगे।

Hindi Vyakaran (सम्पूर्ण हिन्दी व्याकरण)

व्याकरण किसे कहते हैं?

“किसी भाषा को शुद्ध रूप से लिखने, बोलने और उसके प्रयोग से सम्बंधित नियमों का बोध कराने वाले विज्ञान को व्याकरण कहते हैं।” यदि हिन्दी भाषा को शुद्ध रूप में लिखने, बोलने और उसके प्रयोग सम्बंधित नियमों का बोध होता है, उसे हिन्दी व्याकरण कहते हैं।

व्याकरण की परिभाषा – 

“किसी भाषा की वह विधा जिसमें भाषा को शुद्ध लिखने, बोलने, भाषा के स्वरूप, अर्थ, प्रयोग, रचना आदि का अंग-प्रत्यंग विश्लेषण या वर्णन किया जाता है, उसे उस भाषा का व्याकरण (Grammar) कहते हैं।”

 

व्याकरण को संस्कृत विद्वानों ने शब्दानुशासन कहा है।

व्याकरण के कितने अंग होते हैं ?

ध्वनि चिह्नों को लिखित रूप में सबसे छोटी इकाई को वर्ण कहते हैं। वर्णों से मिलकर के शब्द बनते हैं। और शब्द को जब वाक्य में प्रयोग करते हैं तो उसे पद कहते हैं। और शब्दों और पदों से मिलकर के वाक्य बनाए जाते हैं।

व्याकरण के चार अंग होते हैं।

अ) वर्ण विचार इसमें वर्णों के उच्चारण स्थान, उनका वर्गीकरण स्वर व्यंजन आदि आते हैं।

ब) शब्द विचारशब्द विचार में शब्द की परिभाषा भेद शब्द की उत्पत्ति रचना आदि के आधार पर अध्ययन किया जाता है।

स) पद विचार पद विचार में पदों के निर्माण की प्रक्रिया और उसके विभिन्न रूपों के बारे में जानकारी प्राप्त करने होती है।

 द) वाक्य विचारइसमें वाक्य के भेद,वाक्य का अन्वय,विश्लेषण संश्लेषण, वाक्य की रचना, वाक्य के निर्माण की प्रक्रिया होती है।

व्याकरण की विशेषताएं

1. व्याकरण के प्रयोग से भाषा को शुद्ध रूप में लिखा जा सकता है।

2. व्याकरण की सहायता से पाठक को भाषा के शुद्ध रूप को जानने और समझने में सहायता मिलती है।

3. व्याकरण की सहायता से भाषा का मानकीकरण सुनिश्चित किया जाता है।

4. व्याकरण के प्रयोग से किसी भाषा की कठिनाई को सुगम व सहज बनाया जा सकता है।

5. व्याकरण को शब्दानुशासन के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है, किसी भाषा के शब्दों को व्यवस्थित और शुद्ध रूप में प्रयोग में लाना।

व्याकरण में किसी भाषा के शब्दों को जोड़कर लिखा जाये या अलग-अलग करके लिखना जाए। लेकिन शब्दों की सार्थकता हमेशा बनी रहती है।

किसी भी भाषा के विकास में व्याकरण का महत्वपूर्ण योगदान होता है। व्याकरण के बिना भाषा का विकास असम्भव है।

हिन्दी भाषा में समय-समय पर व्याकरण की सहायता से परिवर्तन होते रहे हैं। हिन्दी में वर्णमाला का मानक रूप हमारे सामने आया और हिंदी का मानकीकरण किया गया। इस प्रकार हिन्दी आज एक विश्व की सबसे मानक भाषा बन चुकी है।

हिन्दी भाषा का जैसा उच्चारण किया जाता है, वैसा ही लिखा जाता है। हिन्दी के वर्ण समान आकार के होते हैं।और इनकी सुन्दर व सुडौल बनावट होती है।

 

सम्पूर्ण हिन्दी व्याकरण (Hindi Vyakaran Notes) को निम्नलिखित शीर्षक से पढ़िए 

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