Top 6 पंचतंत्र की कहानियां,( moral stories in hindi) panchtantra ki kahaniyan – बगुला और केकड़ा की कहानी, दो सिर वाला पक्षी, शत्रु का शत्रु मित्र होता है।, चार दोस्त और एक शिकारी, कौआ और धोखेबाज सर्प की कहानी, चालाक खटमल की कहानी / शिक्षाप्रद और रोचक कहानियां – पढ़िए और मनोरंजन कीजिए।
पंचतंत्र की कहानियां (story) हिंदी में – पंचतंत्र की कहानियां बच्चे और बड़े सभी लोग पढ़ते हैं। पंचतंत्र की कहानियां बहुत ही शिक्षाप्रद और रोचक कहानियां हैं।
पंचतंत्र की कहानियां के लेखक आचार्य श्री विष्णु शर्मा हैं।जिन्होंने इनकी रचना संस्कृत भाषा में की । अब इनका अनुवाद अनेक भाषाओं में हो गया है और सम्पूर्ण विश्व में इन kahaniyan in Hindi को पढ़ा जा रहा है।
एक जंगल में बहुत बड़ा तालाब था। वहां बहुत सारे जीव रहते थे, जिनमें मछलियां, केकड़ा ,कछुआ, सांप आदि थे। इस तालाब के किनारे पर एक बगुला रहता था, जो बहुत आलसी था। वह बगुला हमेशा कोई ना कोई उपाय सोचता था कि उसे बिना मेहनत के भोजन मिलता रहे।
एक दिन बगुले के दिमाग में एक उपाय सूझा :- कि वह उसे आजमाने के लिए तालाब के किनारे खड़ा होकर दिखावटी आंसू बहाने लगा। तालाब में से एक केकड़ा निकाला और उससे बोला आप क्यों रो रहे हो, आपके साथ क्या हुआ है।
बगुले ने कहा :- मैंने अब शिकार करना छोड़ दिया है। आजकल मैं पास आई मछलियों का भी शिकार नहीं कर रहा हूं।
केकड़ा बोला :- ऐसे में तो आप भूखे मर जाएंगे।
बगुला थोड़ा निराश होकर के बोलता है :- हम सबको एक दिन मरना ही है। मैंने एक दिन दूर दृष्टि लगाकर पता लगाया है कि यहां अगले 12 वर्ष तक लंबा सूखा पड़ने वाला है।
बगुले की बात को सुनकर केकड़े को बड़ा धक्का सा लगता है ।उसने बगुले की बात तालाब के अन्य सारे जीवों को बताई। सारे जीव इस बात से चिंतित होकर बगुले के पास दौड़े चले आते हैं ।
और बोले :- भगत मामा, अब आप हम सबको कोई रास्ता दिखाओ। आप ही हमें बचा सकते हैं ।आप अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके इस परेशानी से हम सबको छुटकारा दिलाइए।
बगुले ने कुछ देर सोचने के पश्चात सभी को बताया कि यहां से बहुत दूर एक तालाब है, जिसमें हर समय झरने का पानी गिरता रहता है, और वह कभी सूखता नहीं है । अगर सारे जीव उस तालाब में पहुंच जाएं तो सभी बच सकते हैं।
परंतु उन सबके सामने एक समस्या आ जाती है कि उस तालाब पर पहुंचा कैसे जाए ? बगुले ने कहा :- मैं एक-एक करके सभी जीवो को अपने पीठ पर बिठाकर उस तालाब पर पहुंचा दूंगा।तालाब के सभी जीवों ने बगुले की बात मान ली।
इस प्रकार बगुले की चालाकी काम कर जाती है। बगुला रोज एक जीव को अपने पीठ पर बैठा कर कुछ दूर ले जाता है और एक चट्टान पर पटक करके उसे मारकर खा लेता है।
बगुला सोचने लगा कि इस दुनिया में कितने मूर्ख प्राणी भरे हुए हैं जो सब पर विश्वास कर लेते हैं। अगले दिन केकड़े की बारी आती है।
केकड़ा बहुत खुश होकर बंगले की पीठ पर बैठ गया। जब वह चट्टान के पास से गुजर रहे थे तो केकड़ा बोला :- यह हड्डियों का ढेर कैसा है। वह झरना यहां से कितनी दूर है।
बगुला हंसकर बोला वहां कोई झरना नहीं है । मैं रोज एक जीव को यहां लाता हूं और उसे मार करके खा जाता हूं ।
आज तुम्हारी बारी है और मैं तुम्हें भी मार कर खा जाऊंगा।
केकड़े को उसकी बात समझ में आ जाती है कि यह हर प्राणी को लेकर यहां आता है और रास्ते में मारकर खा जाता है। केकड़ा थोड़ा नाराज होता है और उसका सर चकराने लगता है।
लेकिन वह हार नहीं मानता है और हिम्मत से काम रहता है। उसने अपने पंजों से बगुले की गर्दन पकड़कर मरोड़ने लग जाता है। उसने केकड़े की पकड़ में से छूटने की काफी कोशिश की लेकिन वह छूट नहीं पाता है। केकडे ने उसकी गर्दन तब तक पकड़ कर रखी जब तक की उसके प्राण पखेरू नहीं उड़ गए।
शिक्षा :- इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हर किसी पर हमको बिना सोचे समझे ही विश्वास नहीं करना चाहिए।
एक जंगल में एक बरगद का बहुत पुराना पेड़ था। उस पेड़ पर कौवा और कोवी अपना घोंसला बनाकर रहते थे। इस पेड़ की खोखल में एक काला नाग भी रहता था।
हर साल मौसम आने पर को भी उसे घोसले में अंडे देती थी। वह सांप मौका पाकर के अंडों को खा जाता था और जब कौवा कौवी अपने घोसले को लौटते तो अंडों के खोल देखकर उनको बहुत दुख होता था।
एक बार कौवा – कौवी जल्दी भोजन करके घोंसले पर लोटे तो उन्होंने सांप को अंडे खाते हुए देख लिया। तब कौवे ने सोचा कि सांप को सबक सिखाना होगा।
कौवा अपने मित्र लोमड़ी के पास गया और सारा हाल सुनाया। लोमड़ी ने कौवे को एक उपाय बताया ।
एक दिन एक राजकुमारी घोड़े पर जा रही थी। तभी वहां तेज गति से आसमान से कौवा आता है।और राजकुमारी का हार लेकर के उड़ जाता है। जब सैनिकों ने कौवे को राजकुमारी का हार ले जाते हुए देखा तो वे कौवे का पीछा करने लगते हैं।
कौवा उन्हें बरगद के पेड़ के नीचे ले जाता है और जहां पर वह काला नाग रहता था। और कौवे ने हार को पेड़ के खोखले में रख दिया।
यहां सभी सैनिक आकर पहुंच जाते हैं जब एक सैनिकों ने खोखले को देखा तो वह जोर से चिल्लाया और कहा हटो हटो इस खोखले में एक काला नाग है ।
तभी उसने खोखले में भाला चलाया और उसमें से एक घायल काला नाग बाहर आया सेनिकों ने उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए । इस तरह कौवा और कौवी का सबसे बड़ा शत्रु मर गया। अब उनको और उनके बच्चों को डरने की कोई आवश्यकता नहीं थी ।
शिक्षा :- इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि बुरा करने का फल बुरा ही मिलता है । हमें किसी के साथ बुरा कार्य नहीं करना चाहिए।.
एक बार एक राजा था। राजा के कच्छ में एक मंदरी सर्पिणी नाम की एक जूं रहती थी। वह रोज रात को राजा के सोने के बाद चुपके से बाहर निकलती और राजा के पास आती और वह राजा का खून चूसती थी। वह अपने कार्य को इस प्रकार करती थी कि राजा को उसके बारे में कुछ पता नहीं चलता था ।
एक दिन संयोग से अग्निमुख नाम का खटमल भी राजा के सयनकक्ष में आ जाता है। खटमल की मुलाकात जूं से होती है। जूं ने खटमल से कहा :- कि तुम यहां से चले जाओ मुझे अपने क्षेत्र में रहने का अधिकार है आप इसमें नहीं रह सकते हैं।
खटमल बहुत ही चतुर था। उसने जूं से कहा :- कि मेहमानों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाता है । और आज रात के लिए मैं आपका मेहमान हूं। जूं खटमल की चिकनी चुपड़ी बातों में आ जाती है और उसे अपने यहां शरण दे देती है और बोलती है कि आप रात भर विश्राम कर सकते हो लेकिन राजा को नहीं काटोगे उनका खून नहीं चूसोगे ।
खटमल बोला :- भला मैं आपका मेहमान हूं । और मेहमान को कुछ तो खाने के लिए दोगी। राजा के खून से स्वादिष्ट और कुछ भी भोजन नहीं है ।जूं बोली ठीक है किंतु राजा को तुम्हारे काटने का आभास नहीं होना चाहिए।
जैसा तुम कहोगी वैसा ही होगा ।यह कहकर के खटमल राजा के सयनकक्ष में आने की प्रतीक्षा करने लगता है । रात को राजा सयनकक्ष में आता है। और अपने बिस्तर पर सो जाता है।
उसके सोने के कुछ देर बाद खटमल राजा के पास आया और राजा का कौन चूसने लगता है। राजा का खून बहुत ही स्वादिष्ट था। इस प्रकार का खून उसने अपने जीवन में कभी नहीं चखा था।
खटमल पूरे जोर से राजा को काटने लगता है और राजा का खून चूसने लगता है।
खटमल के काटने के कारण राजा को बहुत तेज जलन का एहसास होने लगा और राजा की नींद खुल गई।
राजा ने तुरंत अपने सैनिकों को बुलाया और उसे खटमल को खोज कर करने के लिए कहा। यह सब देखकर के खटमल तुरंत वहां से भाग जाता है। उसके सैनिकों को खटमल नहीं मिलता है। लेकिन बिस्तर के कोने पर जूं मिल जाती है। सैनिकों ने उस जूं को मार दिया।
कहानी से शिक्षा :- इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि अनजान लोगों की चिकनी चुपड़ी बातों में हमको नहीं आना चाहिए। उनका विश्वास नहीं करना चाहिए और उनसे हमेशा सावधान रहना चाहिए।
पुराने समय में एक गांव में द्रोण नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वह भिक्षा मांग करके अपना जीवन यापन करता था। उसके पास सर्दी और गर्मी में पहनने के लिए कपड़े भी नहीं थे। एक दिन एक यजमान ने उस ब्राह्मण पर दया करके उसे बैलों की एक जोड़ी दे दी और रहने के लिए एक झोपड़ी भी बनवा दी।
वह ब्राह्मण बैलों के पेट भरने के लिए बहुत कोशिश करता।आसपास के गांव से उसके लिए अनाज चारा आदि मांग करके लाता और बैलों की भूख को शांत करने का प्रयास करता।
बैल ब्राह्मण के द्वारा दिए गए भोजन को ग्रहण करके काफी मोटे ताजे हो जाते हैं। जब एक दिन चोर ने उन बैलों को देखा तो उसके मन में ख्याल आया की इन बैलों को चुरा लेना चाहिए।
चोर इस बात को सोचकर अपने घर से ब्राह्मण के घर की ओर चल देता है और बीच रास्ते में उसने एक घने व लंबे बाल, लाल आंखों और लंबे-लंबे दांत और लंबे चौड़े शरीर का एक अजीब सा व्यक्ति मिला।
चोर ने डरते हुए उसे प्रश्न पूछा तुम कौन हो?
उस अजनबी व्यक्ति ने कहा :- मैं ब्रह्मराक्षस हूं । मैंने पिछले कई दिन से कुछ नहीं खाया इसलिए आज मैं ब्राह्मण को मारकर खाने वाला हूं।
यह कहकर, उसने चोर से पूछा :- तुम कहां जा रहे हो?
चोर ने कहा :- मैं भी उसी ब्राह्मण के घर जा रहा हूं जिसके घर तुम जा रहे हो मैं वहां से उसके बैलों को चुरा कर ले जाने वाला हूं।
राक्षस ने कहा हम दोनों की मंजिल एक ही है। चलो हम साथ में चलते हैं और रात के समय मौका मिलते ही दोनों उस ब्राह्मण के घर में चुपके से घुस जाते हैं और छुप जाते हैं।
जब ब्राह्मण सो गया तो राक्षस उसे खाने के लिए जैसे ही आगे बढ़ा तो चोर ने कहा :- पहले में इस ब्राह्मण के बैलों को चुरा लेता हूं। फिर तुम ब्राह्मण को खा सकते हैं।
राक्षस ने कहा :- तुम जब बैल चुराओगे, तो किसी की आवाज से ब्राह्मण जाग गया तो अनर्थ हो जाएगा इसलिए पहले में ब्राह्मण को खा लेता हूं फिर तुम बैलों को चुरा लेना।
चोर ने कहा जब तुम ब्राह्मण पर हमला करेंगे तब वह बच गया तो बैलों को रखवाली करने लगेगा जिससे मैं बैलों को चुरा नहीं पाऊंगा इसलिए पहले मुझे अपना काम करने दीजिए मैं बैलों को चुरा कर के ले जाता हूं।
दोनों का शोर सुनकर ब्राह्मण जाग जाता है। ब्राह्मण को जागा हुआ देखकर चोर बोला :- यह राक्षस तुम्हें खाने आया था। मैंने इससे तुम्हारी रक्षा की है ।
राक्षस बोला :- यह आदमी तुम्हारे बैलों की जोड़ी को चुराने आया था। मैंने तुम्हारे बैलों को चोरी होने से बचाया है। जब तक दोनों अपनी बात ब्राह्मण के आगे पूरी करते तब तक ब्राह्मण सूचित होकर लाठी उठाकर अपनी रक्षा करने के लिए तैयार हो गया वह ब्राह्मण को इस प्रकार देखकर दोनों भाग जाते हैं ।
कहानी से शिक्षा : इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि स्वार्थ का फल हमेशा बुरा होता है इसलिए हमें स्वार्थी नहीं होना चाहिए।
एक बार की बात है। एक जंगल में एक कौवा, चूहा,कछुआ और हिरण रहते थे। हर शाम को वे चारों झील के पास इकट्ठा होते थे और एक दूसरे को किस्से – कहानी सुनाते थे।
एक शाम को हिरन नहीं आया उसके दोस्त समझ गए कि वह किसी मुसीबत में फस गया है कौवा जंगल के ऊपर उड़कर हिरण को तलाश में लगता है कोई परेशान होकर वापस आया और बोला।
हमारे दोस्त को एक शिकारी ने पकड़ लिया है हमें उसकी मदद करनी चाहिए।
चूहा तुम जाल कुतर कर हिरन को आजाद कर सकते हैं।
कौवा चूहे को अपने चोंच में उठाकर उसे जगह ले जाता है।
जहां हिरण जाल में फंसा हुआ था। चूहे ने जल उतार दिया और हरण आजाद हो जाता है। उन्हें हैरानी हुई की कछुआ धीरे-धीरे चलते हुए उनकी तरफ आ रहा था।
तभी शिकारी वापस आ जाता है। चूहा भाग करके बिल में छुप जाता है। और कौवा – कौवी वहां से उड़ जाता है। और हिरण भी जाल तोड़कर काफी घने जंगल में चला जाता है शिकारी को कछुआ दिखाई दिया। उसने कछुए को पकड़ लिया।
उन्होंने कछुए को बचाने की योजना बनाई तीनों दोस्तों ने जंगल में शिकारी को तलाश किया।
हिरण मृत सा होकर एक जगह लेट जाता है जब शिकारी ने हिरण को देखा तो उसे लगा कि हिरण मर गया है। उसने कछुए का जाल वहीं छोड़ दिया और हिरण की तरफ भाग कर जाता है।
चूहे ने धीरे से जाकर के कछुए का जाल काट दिया। कछुआ जाल से निकलकर के तालाब में जाकर के छुप जाता है चूहा बिल में छुप जाता है और कौवा ने हिरण को इशारा किया और हिरण उठकर के वहां से भाग जाता है, और कौवा भी उड़ जाता है। यह देखकर शिकारी हैरान हो जाता है।
फिर वह वापस कछुए के पास आया तो देखा कि उसका जाल कटा हुआ था और कछुआ भी वहां से गायब था। निराश होकर के शिकारी घर के लिए वापस चला जाता है। और कछुआ ने अपने दोस्तों को धन्यवाद दिया।
कहानी से सीख :- इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि सच्चे दोस्त हर मुसीबत में मिलकर के सामना करते हैं और हम लोगों को भी इस प्रकार से साथ मिलकर के एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए।
एक समय की बात है। एक तालाब के किनारे एक विचित्र पक्षी रहता था। जिसका नाम भारण्ड था। उस पक्षी के दो सिर थे, पर शरीर एक था। प्रत्येक सिर में अलग-अलग दिमाग था दोनों से हमेशा एक दूसरे का सहयोग करते थे।
इस प्रकार उसे पक्षी का जीवन बहुत ही सरल हो गया था।
एक शाम को तालाब के किनारे उसको एक फल मिला। उसे फल का कुछ हिस्सा पहले सिर ने खाया और दूसरे सर से बोला कि यह फल बहुत ही स्वादिष्ट है।
मैंने पूरी जिंदगी में कई फल खा पर इतना स्वादिष्ट फल कभी नहीं खाया। इतने में दूसरा सिर बोला :- इस फल का कुछ हिस्सा मुझे भी दे दो। मैं भी इस चखकर देखना चाहता हूं।
उसकी बात सुनकर पहले सिर ने कहा मैंने फल खा लिया है।
वह फल हमारे पेट में गया है। हम दोनों का पेट एक ही है तो हमारी भूख मिट गई है। उसने बाकी बचा फल अपनी पत्नी को दे दिया।
पत्नी ने फल खाकर कहा फल बहुत ही स्वादिष्ट है। इतना स्वादिष्ट फल मैंने कभी नहीं खाया।
उस दिन के बाद दूसरा सिर उदास रहने लगता है। उसके मन में बदला लेने की भावना आ जाती है। वह हर समय बदला लेने के लिए ही सोचता रहता है।
कई दिनों बाद उसे एक जहरीला फल मिला। दूसरे सिर ने पहले सिर से कहा कि यह जहरीला फल में खाऊंगा।
तभी पहला सिर कहता है :- तुम पागल हो गए हो यह जहरीला फल खाओगे तो हम दोनों मर जाएंगे। पहले सिर ने दूसरे सिर को रोकने के बहुत प्रयास किया लेकिन दूसरा सिर नहीं रुकता है और उसने वह फल खा लिया फल खाते ही दोनों मर जाते हैं।
कहानी से शिक्षा :- इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि जीवन के महत्वपूर्ण फैसले कभी भी अकेले नहीं लेने चाहिए। किसी अपने साथी के साथ सलाह मशविरा जरूर कर लेना चाहिए।
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