आज hindi grammar के इस blog में क्रिया किसे कहते हैं, क्रिया के भेद और उदाहरण को पढ़ेंगे। क्रिया से संबंधित प्रश्न कक्षा 6 से 12वीं तक पढ़नेवाले विद्यार्थियों से hindi vyakaran में प्रश्न पूछे जाते हैं। इनके अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं में तैयारी करने वाले अभ्यार्थियों से hindi grammar में क्रिया किसे कहते हैं। , क्रिया के भेद और उदाहरण सम्बन्धी प्रश्न पूछे जाते हैं। अतः यह topic आपको सहायक सामग्री के रूप में kriya in Hindi का बोध करायेगा।
Kriya in Hindi
इस लेख में क्रिया की परिभाषा (definition)और क्रिया के भेद को जानेंगे।
क्रिया का अर्थ होता है करना। क्रिया के बिना कोई भी वाक्य पूर्ण नहीं होता है। किसी वाक्य में कर्ता, कर्म,काल की जानकारी भी क्रिया के माध्यम से ही होती है। अतः इस प्रकार क्रिया की परिभाषा हो सकती है ।
क्रिया किसे कहते हैं? Verb in Hindi
वाक्य में किसी शब्द से किसी कार्य के होने व किसी कार्य के करने का बोध होता है उसे क्रिया कहते हैं।
संस्कृत में क्रिया को धातु कहते हैं। धातु में ना जोड़ने से हिंदी के क्रियापद बनते हैं जैसे :-
पढ़+ ना = पढ़ना
उठ + ना = उठना
बैठ + ना = बैठना
दौड़ + ना = दौड़ना
महिलाएं गीत गा रही हैं।
मोहन पढता है।
मोर नाचता है।
मोहित पुस्तक पढ़ता है।
राधा खाना बना रही है।
उपर्युक्त वाक्यों में गहरे काले शब्द या पद में किसी कार्य के होने या करने का बोध होता है। इसलिए यह सभी क्रियापद है। इन पदों का निर्माण निम्नानुसार हुआ है।
गा + ना = गाना
पढ़ + ना = पढ़ना
नाच + ना = नाचना
पढ़ + ना = पढ़ना
बना = ना = बनाना
यदि किसी वाक्य में कार्य के होने का बोध नहीं होता हो और अंत में ना शब्द आता हो तो वे शब्द क्रिया पद नहीं कहलाते हैं।
जैसे :- मोहन सायना है।
रामू आंख से काना है।
यहां पर सायना और काना क्रियापद नहीं है।
कर्म के आधार पर
रचना या प्रयोग के आधार पर
काल के आधार पर
वाक्य में क्रिया का फल किस पर पड़ रहा है तथा वह किसे प्रभावित कर रहा है, उसे कर्म कहते हैं।
कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं।
A.सकर्मक क्रिया
B.अकर्मक क्रिया
स +कर्म +क = कर्म के साथ।
परिभाषा :- (definition) जिस क्रिया का फल कर्ता को छोड़कर के कर्म पर पड़ता है, वह सकर्मक क्रिया कहलाती है।
जैसे :- लड़का चित्र बना रहा है।
सीता वीणा बजा रही है।
उपरोक्त वाक्य को पढ़कर के प्रश्न किया जाए कि लड़का क्या बना रहा है, तो इसका उत्तर होगा चित्र । चित्र शब्द इसमें कर्म है।
दूसरे वाक्य में सीता क्या बज रही है। तो इसका उत्तर होगा वीणा । बिना शब्द इसमें कर्म है।
सकर्मक क्रिया के भी दो भेद होते हैं।
जिस वाक्य में क्रिया के साथ एक कम प्रयुक्त होता है उसे एक कर्मक क्रिया कहते हैं।
सुधा अखबार पढ़ रही है।
यहां सुधा के द्वारा एक ही कर्म (पढ़ना)हो रहा है
जिस वाक्य में क्रिया के साथ दो कर्म प्रयुक्त होते हैं उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं।
जैसे :- अध्यापक छात्रों को पुस्तक पढ़ा रहा है।
अध्यापक क्या पढ़ा रहा है? – पुस्तक।
किसे पढ़ा रहा है?
छात्रों को ( छात्र पढ़ रहे हैं) ।
इस प्रकार इस वाक्य में दो कम एक साथ प्रयुक्त हो रहे हैं। छात्र और पुस्तक।
द्विकर्मक क्रिया में मुख्य और गौड़ कर्म होते हैं,उनको कैसे पहचाने?
माता बच्चों को कपड़े पहना रही है।
द्विकर्मक क्रिया में मुख्य कर्म और गौड कर्म को पहचाना
मुख्य कर्म और गौड़ कर्म को पहचानने के लिए क्रिया से हम क्या लगाकर प्रश्न करते हैं।
ऊपर उदाहरण दिया गया है। माता बच्चों को कपड़े पहनती है।
इस वाक्य में बच्चे और कपड़े दोनों कर्म हैं।
हम प्रश्न करेंगे की माता क्या पहनाती है?
तो हमारे लिए उत्तर मिलता है – कपड़े
अतः इस वाक्य में कपड़े मुख्य कर्म होगा तथा बच्चे गौड़ कर्म होंगे।
अ + कर्म + क = अकर्मक।
अर्थात जहां पर कर्म नहीं हो।
जिस वाक्य में क्रिया का प्रभाव कर्म पर ना पडकर कर्ता पर पड़ता है, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे हंसना, रोना, सोना, उठाना, आना, जाना आदि।
सीता गाती है।
कौन गाती (कर्म) है? – सीता (कर्ता)
इसमें क्रिया गाती है और गाने का प्रभाव सीता जो कर्ता है उस पर पड़ रहा है अतः यहां पर अकर्मक क्रिया है।
बच्चा जोर-जोर से रो रहा है।
कौन रो रहा है? बच्चा (कर्ता)
इस वाक्य में क्रिया रो रहा है, रोने का प्रभाव बच्चा पर पड़ रहा है और उसमें बच्चा कर्ता है। इसलिए यहां अकर्मक क्रिया है।
क्रिया के तुरंत पहले क्या, किस या किसको लगाकर प्रश्न पूछिए। यदि उत्तर प्राप्त होता है या कोई काल्पनिक उत्तर दिया जा सकता है, तो वह सकर्मक क्रिया होगी। अगर कोई उत्तर प्राप्त नहीं होता तो वहां अकर्मक क्रिया होगी।
जैसे :- गौरा नाटक देख रही है।
प्रश्न :- क्या देख रही है ?
इसका उत्तर प्राप्त होगा – नाटक
यहां नाटक कर्म है, इसलिए क्रिया सकर्मक है।
पक्षी आकाश में उड़ते हैं।
प्रश्न :- क्या उड़ते हैं?
किसको उड़ाते हैं?
उपर्युक्त दोनों प्रश्नों का कोई उत्तर प्राप्त नहीं हो रहा है, अतः यहां पर अकर्मक क्रिया होगी।
अकर्मक क्रिया के तीन भेद कर सकते हैं :-
यह क्रियाएं कर्ता की अवस्था, दशा तथा स्थिति का बोध कराती हैं। इन क्रियाओं को अर्थ की अभिव्यक्ति के लिए किसी कर्म की आवश्यकता नहीं होती।
बालक जोर-जोर से रो रहा है। (रोने की स्थिति)
बच्चा कमरे में सो रहा है। (सोने की स्थिति)
विद्यार्थी उस पर हंस रहे हैं। (हंसने की स्थिति)
यह मोहन का खेत है। (स्थित होने का भाव)
इन क्रियाओं में कर्ता क्रियाशील रहता है लेकिन क्रिया को पूरक शब्दों की आवश्यकता नहीं होती है। इनमें कर्म के बिना ही वाक्य की अभिव्यक्ति पूर्ण हो जाती है।
जैसे भगाना, उड़ना, आना, जाना, दौड़ना, निकलना, चलना, फिरना, तैरना, गिरना, आदि।
जैसे :- छात्राएं दौड़ रही हैं।
तितलियां बगीचों में उड़ती हैं।
भंवरे फूलों पर मडरा रहे हैं।
पक्षी आकाश में उड़ रहे हैं।
मछली जल में तैर रही हैं।
ऐसी क्रियाएं जिनके अर्थ को अव्यक्त करने के लिए अपने पूर्व किसी कर्म की आवश्यकता होती है , जो कर्ता से संबंधित होता है उन्हें अपूर्ण अकर्मक क्रियाएं कहते हैं।
जैसे – राम बहुत चालाक है।
मेरा भाई वकील है।
मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनूंगा।
मोहन बहुत ईमानदार है।
यहां उपर्युक्त वाक्यों में हम पूरक शब्दों अर्थात कर्म को हटाकर देखें तो वाक्य अधूरे से लगते हैं, वाक्य का अर्थ स्पष्ट नहीं हो पाता है। यहां चालक शब्द कर्ता राम का पूरक है तथा वकील शब्द भाई का और डॉक्टर शब्द मैं का तथा ईमानदार शब्द मोहन का पूरक शब्द है।
वाक्य में क्रिया का प्रयोग कहां किया जा रहा है किस रूप में किया जा रहा है इसके आधार पर किए जाने वाले भेद को रचना या प्रयोग के आधार पर भेद करते हैं।
– जब दो या दो से अधिक अलग-अलग अर्थ रखने वाले क्रियाओं का मेल हो, उन्हें संयुक्त क्रिया कहते हैं।
जैसे :- सीता पुस्तक पढ़ने लगी।
इस वाक्य में पढ़ने और लगना , दो क्रियाएं हैं। इसमें मुख्य क्रिया पढ़ना है तथा लगना सहायक क्रिया के रूप में है। इस प्रकार इस वाक्य में दो क्रियाएं जोड़कर वाक्य को पूरा करते हैं।
संयुक्त क्रिया के और उदाहरण :-
मोहन पत्र लिखने लगा।
अच्छी आकाश में उड़ा करते हैं।
गीता ने पुस्तक पढ़ ली।
सुरेश ने खाना खा लिया।
इन सभी वाक्य में मुख्य क्रिया के साथ में सहायक क्रिया भी प्रयुक्त हुई है।
ऐसी क्रियाएं जिनको कर्ता स्वयं ना करके किसी दूसरे से कराता है। उन्हें प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।
मोहन श्याम से पत्र लिखवाता है।
इस वाक्य में मोहन पत्र लिखने के कार्य को स्वयं ना करके श्याम से करवाता है। इस वाक्य में पत्र लिखने का कर्ता श्याम है, परंतु क्रिया मोहन से प्रेरित होकर की जा रही है।
प्रेरणार्थक क्रिया के अन्य उदाहरण :-
सोनू मोनू से गृह कार्य करवाता है।
राधा सीता पर पत्र लिखवाती है।
अध्यापक ने छात्र से पाठ पढ़वाया।
अध्यापक ने छात्रा से पत्र लिखवाया।
इन सभी वाक्यों में कर्ता दूसरे व्यक्ति से प्रेरित होकर के क्रिया कर रहा है। अतः प्रेरणार्थक क्रिया होगी।
ऐसे क्रियापद जो संज्ञा सर्वनाम और विशेषण शब्द धातु की तरह वाक्य में प्रयुक्त होते हैं उन्हें नाम धातु क्रिया कहते हैं। जैसे :-
हाथ से हथियाना
अपना से अपनापन
शर्म से शर्माना
लाठी से लठियाना
लाज से लजाना
चमक से चमकना
जब किसी वाक्य में दो क्रियाएं प्रयुक्त होती हैं तथा उनमें से एक क्रिया दूसरी क्रिया से पहले संपन्न हुई हो तो पहले संपन्न होने वाली क्रिया को पूर्ण कारक क्रिया कहते हैं।
इन क्रियो पर लिंग,वचन,काल, पुरुष आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
ऐसे व्यक्तियों में क्रिया में के बाद कर लगाकर दूसरी क्रिया संपन्न होती है।
मोहित खाना खाकर सो गया।
इस बात में मोहित ने खाना खाने की क्रिया के तुरंत बाद सो जाता है आता है खाना खाने के बाद तुरंत दूसरी क्रिया सोने की होती है। इसमें खाकर क्रिया पूर्ण कालिक क्रिया कहलाएगी।
पूर्णकालिक क्रिया के अन्य उदाहरण
वह पढ़ कर सो गया।
रोहित खाना खाकर खेलने लगा।
राधा खाना खाकर विद्यालय गई।
विद्यार्थी पढ़कर खेलने लगे।
ऐसी क्रियाएं जहां कर्म तथा क्रिया दोनों एक ही धातु से बनकर प्रयुक्त होती हैं वहां सजातीय क्रिया होती है।
सैनिकों ने अनेक लड़ाइयां लड़ी।
विद्यार्थियों ने अच्छा खेल खेला।
ऊपर लिखे गए वाक्यों में कर्म तथा क्रिया दोनों एक ही धातु से बने हुए हैं।
इसमें किसी एक ध्वनि का बार-बार उच्चारण सा होता है। उन्हें अनुकरणात्मक क्रिया कहते हैं।
जैसे :- हिनहिनाना
थपथपाना
भिनभिनाना
थरथराना
क्रिया जिस काल में संपन्न होती है। उसे काल के अनुसार तीनों कालों में व्यक्त करते हैं।
– वह क्रिया जो वर्तमान काल में संपन्न होती है उसे वर्तमानकालिक क्रिया कहते हैं।
जैसे :-सोहन पुस्तक पढ़ रहा है।
सीता खाना बना रही है।
ऐसी क्रिया है जो भूतकाल में संपन्न होती हैं उन्हें भूतकालिक क्रिया कहते हैं। जैसे
वह दिल्ली चला गया।
मोना ने सुंदर गीत गया।
जो क्रियाएं भविष्य में संपन्न होने वाली हों, उन्हें भविष्य कालिकक्रिया कहते हैं। जैसे
सीता छुट्टियों के बाद दिल्ली जाएगी।
मोहन कल गाना गाएगा।
हिन्दी व्याकरण – सहज सीखिए – Class 6 to 12
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