भाषा किसे कहते हैं?, Bhasha kise kahate hai? RBSE Class 12 , परिभाषा, भाषा के भेद, व्याकरण के कितने अंग होते हैं ?, लिपि किसे कहते हैं उदाहरण सहित लिखिए? देवनागरी लिपि की विशेषता। हिन्दी भाषा का मानकीकरण ( Bhasha in Hindi)। भाषा, व्याकरण और लिपि के प्रश्न rbse, cbse board में पूछे जाते हैं। इनकी सरल भाषा में विस्तार से चर्चा करते हैं। सीखिए Hindi Grammar
भाषा, व्याकरण और लिपि का परिचय क्रमबद्ध तरीके समझेंगे।
इस अध्याय में हम भाषा, व्याकरण और लिपि के बारे में अध्ययन करेंगे। भाषा किसे कहते हैं ? भाषा के भेद कितने हैं? व्याकरण के कितने अंग होते हैं ? लिपि किसे कहते हैं? हिंदी की बोलियां कौन-कौन सी हैं? हिंदी भाषा की देवनागरी लिपि की विशेषता क्या है ? और हिंदी भाषा का विकास। भाषा, उपभाषा और बोली में अंतर क्या है? इसमें से rbse exam में कक्षा 12 में प्रश्न पूछे जाते हैं। सरल शब्दों में सीखिए।
“व्यक्ति अपने मन के विचारों, भावों को बोलकर, लिखकर या संकेतों के माध्यम से दूसरों के सामने व्यक्त करता है या साझा करता है, उसे भाषा कहते हैं।”
भाषा ( Bhasha in Hindi)
इस दुनिया में मानव ही एक सामाजिक प्राणी है। इसलिए “परस्पर अपने विचार,भाव, संदेश, सूचना आदि को अभिव्यक्त करने के लिए भाषा का प्रयोग करता है। भाषा के माध्यम से ही हम अपने आप और विचारों को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाते हैं, और दूसरे व्यक्ति के भाव और विचारों को जान सकते हैं।”
विश्व में हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, बांग्ला, गुजराती, उर्दू, मराठी, तमिल, तेलुगू, मलयालम, जर्मन,फ्रेंच, जापानी, चीनी, पंजाबी आदि अनेक भाषाएं हैं। भारत में अनेक भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं और अनेक बोलियां और भाषण के बावजूद भी भारत में अनेकता में एकता है।
दूसरे शब्दों में भाषा की परिभाषा (Bhasha ki paribhasha)
भाषा शब्द संस्कृत की भाष् धातु से बना है। जिसका अर्थ होता है बोलना। इसलिए मनुष्य के भावों और विचारों को व्यक्त करने के लिए जो ध्वनि संकेत तथा लिखित संकेत हम प्रयोग में लेते हैं उसे भाषा कहते हैं।
भाषा किसे कहते हैं? सामान्य शब्दों में इस प्रकार समझ सकते हैं :- “जब हम अपने भावों, विचारों को लिखकर बोलकर या संकेतों के माध्यम से व्यक्त करते हैं तथा दूसरा व्यक्ति अपने भावों विचारों को लिखकर बोलकर या संकेतों के माध्यम से प्रकट करता है, इसे भाषा कहते हैं।”
Types of language
लिखित भाषा और मौखिक भाषा
लिखित भाषा :
“जब हम अपने विचारों, भावों या मन की किसी भी प्रकार की बातों को लिखकर के व्यक्त करते हैं तो उसे लिखित भाषा कहते हैं।” यह भाषा का स्थाई रूप होता है। इसमें ध्वनि संकेत को लिखित रूप में व्यक्त किया जाता है। लिखित भाषा को कोई व्यक्ति कहीं पर भी और कभी भी दोबारा से पढ़ सकता है इसका अध्ययन कर सकता है।
जैसे :- पुस्तक, अखबार, इतिहास, साहित्य आदि।
“जब हम अपने विचारों भावों को आमने-सामने बैठकर के मुख से बोलकर व्यक्त करते हैं, तो उसे मौखिक भाषा कहते हैं।” मौखिक भाषा को हम सामान्य बोलचाल में अपने परिवार और प्रवेश से ही सीख जाते हैं। मौखिक भाषा में वक्ता और श्रोता आमने-सामने होते हैं।
जैसे :- नाटक, संवाद, भाषण , आपसी वार्तालाप आदि।
इस भाषा को हम अपनी माता से और अपने परिवार से सीखते हैं। जन्म के बाद बच्चा इसी भाषा को सीखता है।
यह भाषा राजकाज के कार्यों में प्रयोग की जाती है अतः इसे सरकारी भाषा भी कहते हैं। हमारी राजभाषा हिंदी है। अंग्रेजी इसकी सहयोगी भाषा है।
हमारे देश भारत में अनेकों भाषाएं बोली जाती हैं भारतीय संविधान में 22 भाषाओं को मान्यता प्राप्त है। लेकिन भाषाओं के प्रयोग के बाद भी भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी है। राष्ट्रभाषा का अर्थ होता है पूरे राष्ट्र में मान्य भाषा।
एक सीमा क्षेत्र में बोले जाने वाले भाषा के स्थानीय रूप को बोली कहते हैं। इसे उपभाषा भी कहते हैं। बोली बहुत ही सीमित क्षेत्र में बोली जाती है। यह कथन है :- कोस – कोस पर पानी बदले, पांच कोष पर बानी। दस बीस किलोमीटर पर बोली में अंतर आ जाता है।
इसलिए बोली एक सीमित क्षेत्र में तथा अविकसित होती है और आम बोलचाल की प्रयोग की जाती है। बोली का कोई व्याकरण नहीं होता है और ना ही इसमें कोई साहित्यिक रचना होती है।
भाषा किसे कहते हैं? में पढ़िए
भाषा एक विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती है। इसका निश्चित व्याकरण होता है। भाषा में शब्द शुद्धि और अन्य व्याकरण संबंधी शुद्धियों को ध्यान रखा जाता है। भाषा का अलग से व्याकरण व शब्दकोश होता है। इसमें साहित्य लेखन तथा अन्य लेखन की जाते हैं।
हिंदी को पांच उपभाषा और 18 बोलियां में विभक्त किया गया है।
इसमें अवधि बघेली और छत्तीसगढ़ी बोली आती है ।
खड़ी बोली, ब्रजभाषा, बांगरू (हरियाणवी) बुंदेली तथा कन्नौजी आती हैं।
मगही,मैथिली, भोजपुरी बोलियां आती है।
मारवाड़ी, मेवाती, मेवाड़ी, हाडोती, बोलियां आती है।
गढ़वाली, कुमाऊनी, मंड्याली बोलियां आती हैं।
इन बोलियां को मिला करके हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा स्वीकार किया गया।
भाषा में विभिन्न अंग, शब्द, वर्ण, पद, वाक्य आदि एक नियम में बंधे होते हैं। अर्थात किसी भाषा को लिखने के लिए शब्द शुद्धि, वाक्य शुद्धि और अन्य वर्तनी संबंधी शुद्धियां सम्मिलित होती हैं।
व्याकरण में भाषा का मानक रूप सम्मिलित होता है।
व्याकरण का शाब्दिक अर्थ होता है – विश्लेषण करना।
“जिस शास्त्र से किसी भाषा के शब्द रूप को लिखने और बोलने के नियमों का ज्ञान होता है, उसे व्याकरण कहते हैं।”
अतः व्याकरण व शास्त्र है जिससे भाषा को शुद्ध लिखने, बोलने की शक्ति प्राप्त होती है। व्याकरण की सहायता से किसी भाषा को शुद्ध लिख सकते हैं, तो उसको शुद्ध बोल भी सकते हैं।
व्याकरण से हमें भाषा की शुद्धता का ज्ञान होता है। भाषा के शुद्ध लेखन के लिए हमें व्याकरण का ज्ञान होना अति आवश्यक है।
Vyakaran ke ang
ध्वनि चिह्नों को लिखित रूप में सबसे छोटी इकाई को वर्ण कहते हैं। वर्णों से मिलकर के शब्द बनते हैं। और शब्द को जब वाक्य में प्रयोग करते हैं तो उसे पद कहते हैं। और शब्दों और पदों से मिलकर के वाक्य बनाए जाते हैं।
व्याकरण के चार अंग होते हैं
इसमें वर्णों के उच्चारण स्थान, उनका वर्गीकरण स्वर व्यंजन आदि आते हैं।
शब्द विचार में शब्द की परिभाषा भेद शब्द की उत्पत्ति रचना आदि के आधार पर अध्ययन किया जाता है।
पद विचार में पदों के निर्माण की प्रक्रिया और उसके विभिन्न रूपों के बारे में जानकारी प्राप्त करने होती है।
इसमें वाक्य के भेद,वाक्य का अन्वय,विश्लेषण संश्लेषण, वाक्य की रचना, वाक्य के निर्माण की प्रक्रिया होती है।
देवनागरी लिपि की विशेषता क्या है?
“बोलने में हम ध्वनि चिह्नों का प्रयोग करते हैं। ध्वनि चिह्नों को जिस संकेत के माध्यम से लिखित रूप में व्यक्त किया जाता है, उसे ध्वनि कहते हैं।”
हिंदी की लिपि देवनागरी है। Devnagari Lipi
अंग्रेजी की लिपि रोमन
उर्दू की लिपि फारसी
पंजाबी की लिपि गुरुमुखी
– यह बाई ओर से दाएं ओर लिखी जाती है।
– इसमें शिरोरेखा का प्रयोग होता है।
– यह लिपि स्वर और व्यंजन में विभक्त है।
– देवनागरी लिपि उच्चारण के अनुरूप लिखी जाती है।
– इसमें एक वर्ग के वर्णों का उच्चारण स्थान एक ही होता है।
– इसमें अनुस्वार और अनुनासिक के अलग से चिन्ह बनाए गए हैं।
– देवनागरी लिपि के अक्षर एक समान होते हैं तथा देखने में सुडौल व अच्छे लगते हैं।
– इसमें वर्णों की स्पष्टता होती है।
देवनागरी लिपि में समय-समय पर सुधार और संशोधन होते रहे हैं, इन्हें देवनागरी लिपि का विकास कहते हैं।
सर्वप्रथम मुंबई में महादेव गोविंद रानाडे ने लिपि सुधार समिति का गठन किया।
20वीं शताब्दी में लोकमान्य तिलक ने अपने पत्र केसरी में लिपि के सुधार पर चर्चा की थी।
इसके बाद वीर सावरकर,विनोबा भावे, काका कालेलकर, आचार्य नरेंद्र देव ने लिपि में सुधार व संशोधन के अनेकों प्रयास किया काका कालेलकर अ की बारहखडी का सुझाव दिया था।
डॉ श्यामसुंदर दास ने पंचम वर्ण के स्थान पर केवल अनुस्वार के प्रयोग का सुझाव दिया था।
‘सन 1947 में उत्तर प्रदेश की सरकार ने आचार नरेंद्र देव की अध्यक्षता में लिपि सुधार समिति का गठन किया था।’
इसके सुझावों में अ की बारहखड़ी को भ्रामक माना गया।
पंचम वर्ण के स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग स्वीकार किया गया।
संयुक्त वर्णों में क्ष, त्र, ज्ञ को वर्णमाला में जोड़ा गया।
राजभाषा हिंदी का संविधान के अनुच्छेद 343 से 351 तक वर्णन किया गया है।
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत निर्णय से हिंदी दिवस के रूप में स्वीकार किया गया।
संविधान के भाग 17 के अध्याय एक की धारा 343 (क) के अनुसार
” संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय रूप होगा।”
इसके साथ ही यह माना गया इस संविधान के प्रारंभ होने से 15 वर्ष के अवधि के लिए राजकीय प्रयोजनों में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग भी होता रहेगा।
“भारतीय संविधान के राजभाषा हिन्दी के संबंध में अनुच्छेद भाग 17 के अध्याय 1 में धारा 343 से 351 तक वर्णन किया गया है।”
अनुच्छेद 344 में राष्ट्रपति द्वारा राजभाषा आयोग एवं समिति के गठन के बारे में बताया है।
अनुच्छेद 348 में उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय , संसद और विधानसभा में प्रस्तुत विधायकों की भाषा के बारे में बताया है।
349 में भाषा संबंधित विधियों को अधिनियमित करने की प्रक्रिया के बारे में बताया है।
अनुच्छेद 350 में जन सामान्य की शिकायतों को दूर करने के लिए आवेदन प्रस्तुत करने की भाषा हिंदी होगी।
अनुच्छेद 351 में सरकार के कर्तव्य और दायित्वों का उल्लेख किया गया है उनका पालन हिंदी के प्रचार प्रसार में करना होगा।
संविधान के अनुच्छेद 344 में राष्ट्रपति द्वारा 7 जून 1955 को राजभाषा आयोग का गठन बाल गंगाधर खैर की अध्यक्षता में किया गया।
भारत के मूल संविधान में 14 भाषा थी।
तमिल, तेलुगू, पंजाबी, बंगाली, मराठी, मलयालम, हिंदी, संस्कृत, गुजराती, असमिया, उर्दू, ओड़िशी, कन्नड़, कश्मीरी।
21 वें संविधान संशोधन 1967 द्वारा 15 में भाषा सिंधी जोड़ी गई।
71 वां संविधान संशोधन 1992 द्वारा तीन भाषा मणिपुरी, नेपाली, और कोंकड़ी जोड़ी गई।
92 में संविधान संशोधन 2003 द्वारा चार भाषाएं और जोड़ी गई डोगरी, बोडो, मैथिली, संथाली। इन्हें मिलाकर कुल 22 भाषाएं संविधान में सम्मिलित की गई हैं।
1. भाषा की सबसे छोटी इकाई क्या है?
उत्तर – वर्ण
2. हिंदी दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर – 14 सितंबर को।
3. व्याकरण के अंग कौन-कौन से हैं?
उत्तर :-चार अंग हैं –
अ) वर्ण विचार
ब) शब्द विचार
स) पद विचार
द) वाक्य विचार
4. मुख्य रूप से भाषा के भेद कितने होते हैं?
उत्तर :- मौखिक और लिखित
5. हिंदी भाषा में कितनी बोलियां हैं?
उत्तर – 18
6. राजकीय कार्यों में प्रयुक्त होने वाली भाषा को क्या कहते हैं?
उत्तर :- राजभाषा
7. हिंदी की लिपि कौन सी है?
उत्तर :- देवनागरी
8. हिंदी भाषा कैसे लिखी जाती है?
उत्तर :- हिंदी भाषा बांई ओर से दायीं ओर लिखी जाती है।
9. भारतीय संविधान में संघ के राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी किस अनुच्छेद में वर्णित है?
उत्तर :- अनुच्छेद 343 में
10. उत्तर प्रदेश सरकारने 1947 में लिपि सुधार समिति का गठन किसकी अध्यक्षता में किया था?
उत्तर :- आचार्य नरेंद्र देव की अध्यक्षता में किया गया।
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