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Hindi Grammar / October 13, 2024

दीपावली पर निबंध/ deepawali 2024

दीपावली पर निबंध कैसे लिखें? Deepawali 2024 विद्यालय  में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है। कक्षा 3 से दसवीं तक के विद्यार्थियों से विभिन्न शीर्षकों पर निबंध लेखन कराया जाता है।आज हम यहां पर दीपावली पर निबंध लेखन में दीपावली कब मनाई जाती है, दीपावली का अर्थ, दीपावली का पौराणिक इतिहास, दीपावली के पांच दिन के त्यौहार आदि को सम्मिलित करेंगे।

 

दीपावली पर निबंध ( Essay of Deepawali)

प्रस्तावना : deepawali 2024

दीपावली का मतलब/ deepawali meaning 

“दीपावली दो शब्दों से मिलकर बना है दीप + अवली। दीपावली का शाब्दिक अर्थ होता है – दीपों की पंक्ति या कतार। अर्थात इस दिन घर-घर दीपकों की पंक्ति सजाई जाती है।”

यह खुशियों का त्योहार है। दुनिया में भारत एक ऐसा देश है यहां पर सबसे ज्यादा त्यौहार मनाये जाते हैं। दीपावली का त्योहार बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह वर्ष में एक बार मनाया जाता है। दीपावली का त्योहार कार्तिक अमावस्या को हर वर्ष मनाया जाता है। अमावस्या की रात्रि काली होती है, फिर भी सारा देश दीपोत्सव सबसे जगमगा उठता है।

यह त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत और अंधकार पर प्रकाश की जीत होती है। दीपावली का त्यौहार धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक, पौराणिक और सांस्कृतिक आस्था का प्रतीक भी है। यह त्यौहार आपसी भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है और यह घर घर में खुशियां जगाता है।

दिवाली पर पटाखों से आतिशबाजी की जाती है। पटाखों से निकली विभिन्न प्रकार के गैसों से पर्यावरण प्रदूषण होता है और अनेक दुर्घटनाएं होती हैं, इसलिए पटाखों प्रयोग नहीं करें तो ज्यादा अच्छा है।

दिवाली/ दीपावली कब मनाई जाती हैं?

2024 में दीपावली कब है ?

उत्तर : 2024 में दीपावली 1 नवंबर को मनाई जाएगी।

दीपावली दशहरा के 20 दिन बाद कार्तिक अमावस्या को मनाई जाती है। यह त्यौहार पांच दिनों तक चलता है। इसकी शुरुआत कार्तिक त्रयोदशी से होती है। दूसरे दिन रूप चतुर्दशी के रूप में मनाई जाती है।

तीसरे दिन अमावस्या को लक्ष्मी पूजा किया जाता है इसके साथ भगवान गणेश और धन कुबेर की भी पूजा होती है।

चौथे दिन गोवर्धन की पूजा होती है इस दिन अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है। और पांचवें दिन भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है जो भाई बहन के प्रेम को बढ़ावा देता है।

दीपावली का पौराणिक इतिहास

दीपावली का त्यौहार पुराने जमाने से ही मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान राम 14 बरस का बनवास पूर्ण करके और अयोध्या को वापस लौटे थे।

दशहरा के त्यौहार के दिन भगवान राम ने लंका युद्ध में रावण को मारकर विजय प्राप्त की तथा माता सीता को अयोध्या लाए थे।

इस दिन पूरे अवध में लोगों ने खुशी मनाई। और पूरे शहर को दीपोत्सव से जगमग किया। उसी की यादगार में आज पूरे भारतवर्ष में कार्तिक अमावस्या की तिथि को हर वर्ष धूमधाम से यह त्योहार मनाया जाता है।

दीपावली मनाने की तैयारी कैसे की जाती है?

दीपावली से एक महीने पूर्व ही लोगों में खुशियों का माहौल अच्छा जाता है। लोग घरों के साफ सफाई करने लगते हैं। घरों में रंगाई- पुताई का कार्य किया जाता है।

लोग घरों से अनावश्यक वस्तुओं को निकाल कर बाहर फेंकते हैं और घरों को सुसज्जित किया जाता है।

गांव में लोग कच्चे घरों को गाय के गोबर से लीपते हैं तथा उनमें विभिन्न प्रकार के करने चौक, मांडना आदि महिलाएं बनाती हैं, जिससे घर बहुत ही सुंदर दिखाई पड़ते हैं।

बाजारों में दुकानदार अपनी दुकानों को सजा कर रखते हैं। हलवाई मिठाई बनाते हैं।अन्य दुकानदार लक्ष्मी गणेश की तस्वीरें, अन्य देवी देवताओं की तस्वीर बेचते हैं।

बच्चों के लिए फुलझड़ियां, आतिशबाजी के लिए पटाखे, खील बतासे, खिलौने, घरों को सजाने के लिए गुलदस्ते और घर को सजाने के लिए सामग्री बिक्री के लिए अपनी दुकानों पर रखते हैं।

दीपावली से कई दिन पहले ही लोग मिठाई और अन्य सामग्री की खरीदारी शुरू कर देते हैं। बच्चों को आतिशबाजी में पटाखों का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे दुर्घटना की संभावना रहती है।

दीपावली के पांच दिन के त्यौहार

1. धनतेरस :

धनतेरस को धन-धान्य के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को धन कुबेर यानि भगवान धन्वंतरि का दिन माना जाता है।

इस दिन लोग बाजार से बर्तन आदि वस्तुएं और सोने चांदी के जेवर और अन्य आवश्यक सामग्री की खरीदारी करते हैं और ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से घर में धन-धान्य की बढ़ोतरी होती है।

2. चतुर्दशी:

 

दिवाली का दूसरा दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था उसकी खुशी में रूप चतुर्दशी का त्यौहार मनाते हैं। इस चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है महिलाएं अपने रूप का श्रृंगार करती हैं।

3. दीपावली या दिवाली :

तीसरा दिन दिवाली का मुख्य त्यौहार होता है। इस दिन महालक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा होती है इसके साथ-साथ भगवान धन कुबेर की भी पूजा की जाती है।

मां लक्ष्मी को धन की देवी के रूप में पूजा जाती है, जिससे घर में धन-धान्य के बढ़ोतरी हो और घर में सुख समृद्धि में वृद्धि हो।

4. गोवर्धन पूजा :

दीपावली का चौथा दिन अर्थात दीपावली का अगला दिन को अन्नकूट महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सभी घरों में गोवर्धन की पूजा की जाती है।

कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने इस दिन भगवान इंद्र के प्रकोप से गोवर्धन पर्वत को उठाकर के वहां के लोगों को रक्षा की उसी की याद में गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है।

इस दिन घरों में दाल बाटी चूरमा, कुछ क्षेत्रों में अन्नकूट (अन्नकूट का मतलब होता है- जिसमें बाजरा, विभिन्न प्रकार की सब्जियां आदि को मिलाकर पकाया जाता है) का महोत्सव मनाया जाता है।

5. भाई दूज :

दीपावली का पांचवा दिन भाई दूज होता है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाती है, मिठाइयां खिलाती हैं। तथा अपने भाई की सुख समृद्धि कामना करती है भाई बहन के लिए उपहार देते हैं अर्थात् यह भाई बहन के प्रेम का त्यौहार है।

निष्कर्ष:

दीपावली के त्यौहार मनाने के बाद निष्कर्ष निकलता है कि दिवाली खुशियों का त्यौहार है। भाईचारे को बढ़ाता है, घरों में साफ सफाई को बढ़ावा मिलता है जिससे विभिन्न प्रकार के कीटाणु घरों में न फैलें। अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था को बनाए रखता है।

दीपावली का त्योहार पर आतिशबाजी नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे दुर्घटना की संभावना रहती है और वातावरण प्रदूषित होता है । इससे निकलने वाले गैसें मानव जीवन और प्रकृति के लिए हानिकारक है।

दिवाली पर 10 लाइन

* दिवाली भारत वर्ष का महत्वपूर्ण त्यौहार है। दीपावली पर लोग घरों के साफ सफाई करते हैं। जिससे घरों के सफाई को बढ़ावा मिलता है।

* दिवाली के दिन प्रत्येक घर में दीप जलाकर जगमग किया जाता है।

* दीपावली का पौराणिक और धार्मिक महत्व है इस दिन भगवान राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या वापस आए थे।

*दीपावली को सभी लोग और बच्चे फुलझडियों और पटाखे चला कर खुशियां मनाते हैं।

*दीपावली पर बाजारों में लोगों के लिए मिठाइयां बनाई जाती हैं।

*दिवाली का त्यौहार 5 दिन मनाया जाता है पहले दिन धनतेरस को भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है।

* दूसरे दिन रूप चतुर्दशी भगवान विष्णु ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था।

* तीसरा दिन लक्ष्मी पूजा और गणेश पूजा होती है जो धन-धान्य की देवी होती है।

* चौथा में दिन गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर बृजवासियों की इंद्रदेव के प्रकोप से जान बचाई थे।

* पांचवां दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई को मिठाई खिलाते हैं तथा भाई के सुख समृद्धि कामना करती हैं।

 

शारदीय नवरात्रि 2024

विसर्ग संधि 

 

 

 

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