हिन्दी व्याकरण में अविकारी शब्द किसे कहते हैं, अविकारी शब्द या अव्यय किसे कहते हैं, परिभाषा, अव्यय के भेद उदाहरण सहित आदि – Class 6 to 12 तक सरल भाषा में पढ़िए।
“ऐसे शब्द जिनमें कोई परिवर्तन नहीं होता है अर्थात लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि के प्रयोग से उनमें कोई विकार उत्पन्न नहीं होता है, उन्हें अविकारी शब्द या अव्यय कहते हैं।”उ
जैसे :
वह भी यहां आएगी।
राम और श्याम भाई हैं।
वह कहां गया है।
जब तक आप आओगे तब तक मैं यही हूं।
दरवाजे पर कोई खड़ा है।
ऊपर दिए गए वाक्यों में भी, और, कहां, जब, तब, कोई शब्द अविकारी शब्द हैं।
मुख्य रूप से अविकारी शब्दों के चार भेद होते हैं।
1. क्रिया विशेषण
2. समुच्चयबोधक
3. संबंध बोधक
4. विस्मयादिबोधक
वे अव्यय शब्द जो क्रिया की विशेषता बताते हैं उन्हें क्रिया विशेषण कहते हैं।
उदाहरण :- धीरे-धीरे, तेज, जब, तब, अवश्य, आज, जितना, जैसे, जहां, उतना आदि।
क्रिया विशेषण के चार भेद होते हैं।
जो अव्यय काल अर्थात समय की विशेषता बताते है वहां कालवाचक क्रिया विशेषण होता है।
जैसे : आजकल प्रदूषण ज्यादा फैल रहा है।
तुम परसों घर जाओ।
वह हमेशा मन्दिर जाती है।
मोहन प्रतिदिन विद्यालय जाता है।
वह रातभर पढ़ाई करता है।
उपयुक्त वाक्यों में परसों, हमेशा, प्रतिदिन, रात भर । ये सभी शब्द काल का बोध कराते हैं। इसलिए सभी वाक्यों में काल वाचक क्रिया विशेषण है।
जो अव्यय शब्द अनिश्चित संख्या या मात्रा का बोध कराते हैं, वे परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहलाते हैं।
जैसे:
वहां अत्यंत सर्दी है। – यहां सर्दी के परिमाण (अधिकता) का बोध होता है।
उसको थोड़ा अनाज दे दो। यहां अनाज की मात्रा का परिमाण (थोड़ा) का बोध होता है।
राम श्याम से अधिक होशियार है। यहां तुलनात्मक परिमाण का बोध होता है।
बस इतना ही काफी है। यहां पर्याप्तता बोधक शब्द का प्रयोग किया गया है।
जहां क्रिया के करने या होने के स्थान का बोध होता है, वहां स्थान वाचक क्रिया विशेषण होता है।
जैसे : बाहर, भीतर, यहां, वहां, सर्वत्र,आमने-सामने आदि।
उदाहरण
मेज के ऊपर पुस्तक रखी है। यहां पुस्तक के रखने के स्थान का बोध होता है।
आप भीतर जाइए। यहां जाने के स्थान का बोध होता है।
यह मोनू का घर है। यहां घर के स्थान का बोध होता है।
तुम उसके पीछे जाओ। यहां जाने के स्थान का बोध होता है।
ऐसे अव्यय शब्द जिनसे क्रिया के होने के ढंग का पता चलता है वहां रीतिवाचक क्रिया विशेषण होता है।
वहां अचानक दुर्घटना हो गई।
इस वाक्य में दुर्घटना की रीति या तरीके के बारे में बोध होता है।
वह निसंदेह उत्तीर्ण हो जाएगा।
इस वाक्य में उत्तीर्ण होने की रीति का बोध होता है।
“वे अविकारी या अव्यय शब्द जो किसी संज्ञा व सर्वनाम शब्दों के बाद आकर अन्य शब्दों के साथ संबंध का बोध कराते हैं,उन्हें संबंध बोधक अव्यय कहते हैं।”
Note – ये अव्यय संज्ञा या सर्वनाम शब्द से पहले भी आ सकते हैं।
जैसे : के ऊपर, की ओर, के बिना, ऊपर, बाहर ,भीतर, किनारे तक, पर्यन्त, समेत, दिन भर, रात भर, के आगे, के बजाय, की अपेक्षा, के पास आदि शब्द आते हैं , वहां संबंध बोधक अव्य होता है।
उदाहरण
वह अस्पताल की ओर गया।
उसके बिना वह रह नहीं सकता।
घर के भीतर चोर है।
वह रात भर पढ़ाई करता है।
मोहन के बजाय सोहन अच्छा है।
“वे अव्यय जो दो वाक्यों, दो शब्दों या दो वाक्यांशों को आपस में जोड़ते हैं, उन्हें समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं। इन शब्दों को योजक भी कहा जाता है।”
जैसे :
लेकिन, किन्तु, परन्तु,तथा, और, इसलिए, क्योंकि, ताकि, यद्यपि, आदि शब्द योजक का काम करते हैं।
उदाहरण
मोहित ने कठिन परिश्रम किया किंतु सफलता नहीं मिली।
यहां किंतु शब्द दो उपवाक्यों को जोड़ता है।
सीता आई और गीता चली गई।
यहां और शब्द दो वाक्यों को जोड़ता है।
वह स्वस्थ हो जाता परंतु दवाई नहीं खाई।
यहां परंतु शब्द दो उपवाक्य को जोड़ता है।
समुच्चयबोधक अव्यय के दो भेद होते हैं
“जिन अव्यय शब्दों द्वारा ऐसे दो पदों या दो वाक्यों को जोड़ा जाता है जो समान जाति या स्थिति के होते हैं, उन्हें समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं।”
उदाहरण
सीमा, रीमा और कविता एक ही कक्षा में पढ़ती हैं।
रवि या कवि कहीं भी जा सकते हैं।
आप जाएंगे या मैं जाऊं।
उसने बहुत मेहनत की परंतु सफलता नहींमिली।
उपर्युक्त वाक्य में और,या, परंतु, अव्यय शब्द आए हैं।
“ऐसे अव्यय शब्द जिनके द्वारा एक मुख्य वाक्य से एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्यों जोड़ा जाता है, उसे व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं।”
उदाहरण
उसने होटल पर खाना नहीं खाया क्योंकि पैसे नहीं थे।
मोहन बीमार है इसलिए विद्यालय नहीं आया।
आप कठोर परिश्रम कीजिए ताकि सफलता प्राप्त कर सकें।
इतना कमाओ कि घर का खर्च चल सके।
“जिन अव्यय शब्दों से आश्चर्य, शोक, हर्ष, खुशी, घृणा, भय आदि के भाव का बोध होता हो, उसे विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं।”
जैसे : हाय!, अरे!, हे राम!, वाह!, छि:छि:!, धिक्कार!, सावधान!, धन्य हो!, शाबाश! आदि शब्द विस्मयादिबोधक अव्यय है, जो किसी वाक्य में प्रयुक्त होकर विसमय का अर्थ देते हैं।
उदाहरण
सावधान!आगे खतरा है।
हे राम! यह क्या हो गया।
शाबाश! बहुत अच्छा कार्य किया।
अरे! कहां जा रहा है?
धन्य हो! आपने बहुत अच्छा कार्यकिया।
“ऐसे अव्यय शब्द जो किसी पद या शब्द के बाद जुड़कर बलपूर्वक विशेष अर्थ देते हैं, उन्हें निपात कहते हैं।”
निपात वाक्य जुड़कर में अलग ही चमत्कार पैदा करते हैं।
जैसे : भी, ही, तो, तक, मात्र, सिर्फ, केवल, पर, ना, मत, सा, सी, से, करीब आदि
उदाहरण
यह कार्य आपको ही करना होगा।
उसके पास मात्र ₹10 थे।
बरसात होने के कारण कक्षा में केवल पांच विद्यार्थी आए।
आप भी उसके साथ आना।
निपात के नौ भेद माने जाते हैं।
A. निषेधात्मक निपात : ना, मत।
B. प्रश्न बोधक निपात : कब, क्या।
C. बलदायक निपात : भी, केवल, मात्र।
D. अवधारणा बोधक निपात : लगभग, करीब।
E. स्वीकार्य बोधक निपात : जी, हां।
F. नकार बोधक निपात : नहीं
, बिल्कुल नहीं।
G. आदरबोधक निपात : जी।
H. तुलनात्मक निपात : सा, सी, से।
I. : विस्मयादिबोधक निपात: क्या, काश।
1. अविकारी शब्द किसे कहते हैं?
उत्तर : – “ऐसे शब्द जिनमें कोई परिवर्तन नहीं होता है अर्थात लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि के प्रयोग से उनमें कोई विकार उत्पन्न नहीं होता है, उन्हें अविकारी शब्द या अव्यय कहते हैं।”
2. अविकारी शब्द/ अव्यय के भेद कितने होते हैं?
उत्तर :- चार भेद होते हैं।
1. क्रिया विशेषण
2. समुच्चयबोधक
3. संबंध बोधक
4. विस्मयादिबोधक
3. निपात किसे कहते हैं? निपात का अर्थ क्या है?
उत्तर :- “ऐसे अविकारी शब्द जो किसी पद या शब्द के बाद जुड़कर बलपूर्वक विशेष अर्थ देते हैं, उन्हें निपात कहते हैं।”
4. क्रिया विशेषण अव्यय किसे कहते हैं?
उत्तर :- “वे अव्यय शब्द जो क्रिया की विशेषता बताते हैं उन्हें क्रिया विशेषण कहते हैं।”
उदाहरण :- धीरे-धीरे, तेज, जब, तब, अवश्य, आज, जितना, जैसे, जहां, उतना आदि।
5. समुच्चयबोधक अव्यय किसे कहते हैं?
उत्तर :- “वे अव्यय शब्द जो दो वाक्यों, दो शब्दों या दो वाक्यांशों को आपस में जोड़ते हैं, उन्हें समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं। इन शब्दों को योजक भी कहा जाता है।”
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