Hindi Gyan Sansar is Best Plateform for Learning and Entertainment.
Hindi Grammar / October 24, 2024

हिन्दी वर्णमाला 52 अक्षर// स्वर की मात्राएं, स्वर की संख्या, व्यंजन की संख्या, FAQ-23

व्याकरण में हिन्दी वर्णमाला 52 अक्षर इसका आधार स्तम्भ है। वर्णमाला में स्वर की संख्या, व्यंजन की संख्या, कितनी होती है, स्वर की मात्राएं कितनी होती हैं, इन सभी की हमको बेसिक जानकारी होनी चाहिए। वर्णमाला के अक्षरों के उच्चारण स्थान ट्रिक (tricks) के माध्यम से सरल भाषा में समझेंगे।

Table of Contents

 

हिन्दी वर्णमाला 52 अक्षर निम्नलिखित हैं 

11 स्वर : अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ

2 अयोगवाह : अं अ:

33 व्यंजन : क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ् ट ठ ड ढ ण तो थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह

4 संयुक्त व्यंजन : क्ष त्र ज्ञ श्र

2 उत्क्षिप्त वर्ण : ड़ ढ़

इस प्रकार हिन्दी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण होते हैं।

 

वर्ण किसे कहते हैं?

वर्ण की परिभाषा

“भाषा की सबसे छोटी लिखित इकाई को वर्ण कहते हैं।”

Note : भाषा की सबसे छोटी मौखिक  इकाई को ध्वनि कहते है।

वर्णमाला किसे कहते हैं?

वर्णमाला की परिभाषा :

“हिन्दी व्याकरण में वर्ण या अक्षरों के व्यवस्थित क्रम को वर्णमाला कहते हैं।”

दूसरे शब्दों में : “किसी भाषा को लिखने, पढ़ने और समझने के लिए अक्षर या वर्ण आवश्यक होते हैं। जब इन वर्णों को व्यवस्थित करके क्रमबद्ध लिखकर मानकीकरण कर दिया जाए, उसे वर्णमाला कहा जाता है।”

 

ध्वनि किसे कहते हैं?

ध्वनि की परिभाषा

मनुष्य अपने भावों , विचारों को बोलकर व्यक्त करता है। अतः – ” भाषा की सबसे छोटी मौखिक इकाई को ध्वनि कहते हैं।”

ध्वनि के लिखित रूप को वर्ण या अक्षर कहा जाता है।

 

अक्षर किसे कहते हैं? 

अक्षर की परिभाषा

अक्षर का संधि विच्छेद होता है – अ + क्षर । अर्थात जिसका कभी क्षरण न हो। अतः ” जिसका कभी क्षरण या नाश नहीं होता है, उसे अक्षर कहते हैं।”

 

जैसे : अ, आ, इ, ई, क,ख,ग,घ आदि।

इन वर्णों के और टुकड़े नहीं किये जा सकते हैं।

 

हिंदी वर्णमाला 52 अक्षर में वर्ण के दो भेद होते हैं।

 

1. स्वर, 2. व्यंजन

 

१. स्वर किसे कहते हैं?

स्वर की परिभाषा:

“हिन्दी वर्णमाला में जो वर्ण स्वतंत्र रूप से बोले जाते हैं,उन्हें स्वर कहते हैं।” अर्थात जिन वर्णों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जाता है, वे स्वर कहलाते हैं।

स्वरों का उच्चारण करने के लिए किसी अन्य वर्ण की आवश्यकता नहीं होती है।

स्वर की संख्या 

हिंदी वर्णमाला में 11 स्वर होते हैं।

 

अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ ।

हिंदी वर्णमाला में स्वरों की 10 मात्राएं होती हैं। अ वर्ण की मात्रा नहीं होती है।

 

२. व्यंजन किसे कहते हैं?

व्यंजन की परिभाषा :

“हिंदी में जिन वर्णों का उच्चारण स्वर वर्णों की सहायता से किया जाता है, उन्हें व्यंजन कहते हैं।”

व्यंजन की संख्या :

हिन्दी वर्णमाला में 33 व्यंजन वर्ण होते हैं।

 

क, ख, ग, घ ङ

च, छ, ज, झ, ञ

ट, ठ, ड, ढ, ण

त, थ, द, ध, न

प, फ, ब , भ, म

य, र, ल, व

श, ष, स, ह

 

हिंदी वर्णमाला में स्वर की संख्या = 11

व्यंजन की संख्या  = 33 

कुल = 44 वर्ण होते हैं।

स्वर वर्णों की संख्या 11 होती है तथा व्यंजन वर्णों की संख्या 33 होती है।

 

अं और अ: को अयोगवाह वर्ण कहते हैं। इन्हें स्वर में शामिल नहीं किया जाता है।

 

क्ष, त्र, ज्ञ, श्र संयुक्त व्यंजन होते हैं।

 

क्ष = क् + ष्

 

त्र = त् + र्

 

ज्ञ = ज् + ञ्

 

श्र = श् + र्

 

 हिन्दी व्याकरण 52 अक्षर 

स्वर के भेद

 

हिन्दी में कुल स्वर 11 होते हैं।

 

अ, आ, इ ,  ई, उ , ऊ, ए, ऐ, ओ, औ = 11

 

अं – अनुस्वार

 

अ:‌ – विसर्ग

 

अनुस्वार और विसर्ग स्वर नहीं होते , इन्हें अयोगवाह वर्ण कहते हैं। क्योंकि ये स्वर ध्वनियों की सहायता से उच्चरित होते हैं।

 

हिन्दी में वर्णमाला में स्वर के भेद :

 

(1) हृस्व स्वर : जैन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता है वे हृस्व स्वर कहलाते हैं। इनकी संख्या चार होती है। इन्हें मूल स्वर भी कहते हैं।

अ इ उ ऋ

इन्हें मूल स्वर भी कहा जाता है।

 

(2) दीर्घ स्वर :– जिन स्वरों के उच्चारण में मूल स्वरों से दुगना समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। दीर्घ स्वरों की संख्या 7 होती है।

आ ,ई ,ऊ, ए ,ऐ ,ओ ,औ

अंग्रेजी के ऑ स्वर का भी प्रयोग हिंदी में होने लगा है जैसे:- डॉक्टर

 

दीर्घ स्वर भी दो प्रकार के होते हैं :-

 

(अ) संधि स्वर :- यह लघु स्वरों के मेल से बने होते हैं।

आ = अ + अ

ई = इ + इ

ऊ = उ + उ

इन्हें सजातीय स्वर भी कहा जाता है। क्योंकि समान स्वरों के मेल से दीर्घ स्वर बने हैं।

 

(ब) संयुक्त स्वर :– यह दो विजातीय स्वरों के मेल से बने होते हैं।

ए = अ + इ

ऐ = अ + ए

ओ = अ + उ

औ = अ + ओ

इन्हें विजातीय स्वर भी कहा जाता है, क्योंकि इनका निर्माण दो अलग-अलग स्वरों के मेल से हुआ है।

 

हिन्दी वर्णमाला में स्वरों का विभिन्न प्रकार से उच्चारण निम्नानुसार होता है।

 

जिह्वा से बोलने के आधार पर स्वरों के भेद –

 

(क) अग्र स्वर:- जिन स्वरों के उच्चारण में जिह्वा के आगे का भाग सक्रिय रहता है वह अग्रस्वर कहलाते हैं।

जैसे – इ, ई, ए, ऐ, ऋ

 

(ख) मध्य स्वर :- जिन स्वरों के उच्चारण में जिह्वा का मध्य भाग सक्रिय रहता है वह मध्य स्वर कहलाते हैं।

जैसे – अ

 

(ग) पश्च स्वर :- जिन स्वरों के उच्चारण में जिह्वा का पिछला भाग सक्रिय रहता है वह पश्च स्वर कहलाते हैं।

जैसे : – आ, उ, ऊ, ओ, औ

 

ओष्ठ की आकृति के आधार पर स्वरों के भेद : 

(क) वृताकार स्वर :- जिन स्वरों का उच्चारण करते समय ओष्ठों की आकृति वृत की तरह हुई गोल हो जाती है, वृताकार स्वर होते हैं।

जैसे – उ , ऊ , ओ , औ

 

(ख) अवृत्ताकार स्वर:- जिन स्वरों का उच्चारण करते समय ओष्ठ की आकृति वृताकार न हो। वे अवृताकार स्वर कहलाते हैं।

अ , आ, इ, ई, ए, ऐ, ऋ

 

मुखाकृति के आधार पर स्वर के भेद :

मुखाकृति करते के आधार पर स्वर चार प्रकार के होते हैं :-

(क) विवृत स्वर : – जिस स्वर का उच्चारण करते समय मुख पूर्ण रूप से खुलता है।

जैसे: – आ

 

(ख) अर्धविवृत स्वर :- जैन स्वरों का उच्चारण करते समय मुख्य आधा खुलता है उन्हें अर्धविवृत स्वर कहते हैं।

जैसे :- अ, ऐ, औ

(ग) संवृत स्वर 

संवृत शब्द का अर्थ होता है “बंद होना”। जिन स्वरों का उच्चारण करते समय मुंह बंद सा हो जाता है उन्हें संवृत्त स्वर कहते हैं।

जैसे :- इ, ई , उ, ऊ , ऋ

 

(घ) अर्ध संवृत स्वर :- जिन स्वरों का उच्चारण करते समय मुख आधा बंद रहता है उन्हें अर्धसंवृत स्वर कहते हैं।

जैसे :- ए, ओ

 

हिन्दी वर्णमाला में व्यंजन के भेद :

 

जिन वर्णों का उच्चारण करते समय फेफड़ों से उठने वाली वायु मुखविवर के उच्चारण स्थलों से बाधित होकर बाहर निकले , उन्हें व्यंजन वर्ण कहते हैं।

 

व्यंजन वर्ण हमेशा स्वर वर्णों की सहायता से बोले जाते हैं।

व्यंजन कुल 33 होते हैं।

 

हिन्दी वर्णमाला में व्यंजन के भेद

 

(१) स्पर्श व्यंजन :

इनमें क वर्ण से लेकर के म वर्ण तक के व्यंजन आते हैं। इनकी संख्या कुल 25 होती है।

 

क वर्ग :- क, ख, ग, घ, ङ

च वर्ग :- च, छ , ज , झ, ञ

ट वर्ग :- ट, ठ, ड , ढ, ण

त वर्ग :- त , थ , द , ध , न

प वर्ग : – प, फ, ब, भ ,

 

(२) अन्तस्थ व्यंजन 

 इनका उच्चारण ना तो स्वरों की तरह होता है और न ही व्यंजन वर्णों की तरह।

इनकी संख्या चार है –

य , र, ल, व

 

(३) ऊष्म/ संघर्षी व्यंजन :-

वे व्यंजन जिनका उच्चारण करते समय घर्षण के कारण गर्म वायु बाहर निकलती है, वे ऊष्म व्यंजन होते है। इनकी संख्या कुल 4 होती है।

श, ष, स, ह

 

संयुक्त व्यंजन

इनके अलावा 4 संयुक्त व्यंजन वर्ण होते हैं।

क्ष , त्र , ज्ञ, श्र

 

क्ष  =  क् + ष्

त्र   =  त् + र् 

ज्ञ   =  ज् + ञ्

श्र =  श् + र्

 

उत्क्षिप्त वर्ण

 

उत्क्षिप्त का अर्थ होता है फेंका हुआ। इनका उच्चारण करते समय जिह्वा मूर्धा को स्पर्श करके एकदम नीचे गिरती है, ऐसा लगता है जैसे अक्षर को मुंह से बाहर फेंका जा रहा है। इनकी संख्या दो है।

ड़ और ढ़

 

उत्क्षिप्त वर्ण का प्रयोग

इन वर्णों का प्रयोग शब्द के शुरू में नहीं होता है।

जैसे:- डमरू , ढोलक, ढक्कन , डलिया

इन वर्णों का प्रयोग शब्द के मध्य में किया जाता है।

जैसे :- सड़क , पढ़ाई , पकड़ना , ढूंढ़ना

 

आगत व्यंजन :-

नुक्ता लगे व्यंजन वर्णों को ही आगत व्यंजन कहते हैं।

इनकी संख्या कुल 5 है।

क़ , ख़ , ग़, ज़, फ़

 

द्वित्व व्यंजन :-

जब किसी शब्द में एक ही व्यंजन दो बार आए, लेकिन पहले वाला वर्ण आधा हो तथा दूसरा वर्ण पूर्ण हो, उन्हें द्वित्व व्यंजन वर्ण कहते हैं। जैसे :-

कुत्ता, बच्चे, बिल्ली, पत्ता

 

इस प्रकार हिंदी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण प्रचलित हैं।

स्वर वर्ण :- 11

अयोगवाह :- 2

व्यंजन वर्ण :- 33

संयुक्त वर्ण :- 4

उत्क्षिप्त वर्ण :- 2

 

हिन्दी वर्णों के उच्चारण स्थान –

 

यहां हम उच्चारण स्थान के आधार पर स्वर व व्यंजनों के भेद जानेंगे।

 

जब फेफड़ों से आने वाली वायु मुख में विभिन्न स्थानों से जिह्वा का सहारा लेकर टकराती है, जिससे वर्णों का उच्चारण होता है। इस जिह्वा के माध्यम से टकराने वाले स्थान ही उच्चारण स्थान कहलाते हैं।

उच्चारण स्थान ट्रिक (trick)

वर्ग   = स्वर व व्यंजन = उच्चारण स्थान

1. अकुहविसर्जीयानाम् कण्ठ:।

क वर्ग   = अ, आ, ह वर्ण, विसर्ग और क वर्ग    = कंठ्य

2. इचुयशानाम् तालु: ।

च वर्ग  = इ, ई, य , श वर्ण और च वर्ग  = तालव्य

3. ऋटुरषाणाम् मूर्द्धा।

ट वर्ग  = ऋ, ष, र वर्ण और ट वर्ग  = मूर्धन्य

4. लृतलसानाम् दन्त:।

त वर्ग  =  ल, स वर्ण और तो वर्ग   = दन्त्य

5. उपूपध्यमानीयानामोष्ठौ ।

प वर्ग  = उ, ऊ वर्ण और प वर्ग   = ओष्ठ्य

6. ञ्, म, ङ, णनानाम् नासिका च ।

नासिका वर्ण = ङ, ञ, ण, न, म  =  नासिक्य

7. एदैतौ:  कण्ठतालु : ।

कण्ठ -तालु  = ए, ऐ  = कण्ठतालव्य

8. ओदौतौ: कण्ठोष्ठम

कण्ठ ओष्ठ  = ओ, औ  = कण्ठोष्ठ्य

9. वकारस्य दन्तोष्ठम्।

दन्त-ओष्ठ =  व, फ  = दन्तोष्ठ्य

 

स्वर यंत्र से उच्चारित होने के कारण ‘ह’ वर्ण को अलिजिह्वा या काकल भी कहते हैं।

 

ल , स , ज, वर्णों को वर्त्स्य कहते हैं।

 

प्रयत्न के आधार पर वर्णों का विभाजन  –

प्रयत्न दो प्रकार के होते हैं :-

 

1. आभ्यंतर प्रयत्न  2. बाह्य प्रयत्न

 

आभ्यंतर प्रयत्न के आधार पर व्यंजन वर्ण के भेद

 

1. आभ्यंतर प्रयत्न के आधार पर व्यंजन के आठ भेद होते हैं।

 

1. स्पर्शी व्यंजन :- वे व्यंजन वर्ण जिनका उच्चारण करते समय जिह्वा मुख के अंदर से किसी एक वाक् यंत्र अवयव का स्पर्श करती है उन्हें स्पर्शी व्यंजन कहते हैं। इसमें 16 व्यंजन आते हैं।

क, ख, ग, घ,

ट, ठ, ड, ढ,

त, थ, द, ध,

प, फ, ब, भ

विशेष:- यदि स्पर्शी व्यंजनों की संख्या पूछी जाए विकल्प में 25-20 16 तीनों दिया हो तो पहली प्राथमिकता 16 है दूसरी 20 और तीसरी 25 होगी।

 

 

2. संघर्षी व्यंजन :- वे व्यंजन जिनका उच्चारण करते समय मुख के अंदर के दो वाक्यंत्र अभी अब निकट आ जाते हैं जिससे बीच का वायु मार्ग संकरा हो जाता है और निकलने वाली वायु जिह्वा पर घर्षण करती हुई प्रतीत होती है,उन्हें संघर्षी व्यंजन कहते हैं।

जैसे :- श, ष, स, ह

 

3. स्पर्श संघर्षी व्यंजन :- वे व्यंजन वर्ण जिनका उच्चारण करते समय वायु का पहला भाग तो स्पर्शी होता है लेकिन बाद वाला भाग अपेक्षाकृत संघर्षी हो जाता है उन्हें स्पर्श संघर्षी कहा जाता है।

जैसे :- च, छ, ज, झ

 

4. नासिक्य व्यंजन वर्ण:- वे व्यंजन वर्ण जो नासिका से उच्चारित होते हैं उन्हें नासिक्य कहते हैं।

जैसे :- ङ, ञ, ण, न, म

 

5. उत्क्षिप्त या ताड़नजात वर्ण:- उत्क्षिप्त का शाब्दिक अर्थ है ‘फेंका हुआ’ । वे व्यंजन वर्ण जिनका उच्चारण करते समय जिह्वा का अगला सिरा झटके से नीचे गिरता है वह उत्क्षिप्त व्यंजन कहलाते हैं।

जैसे :- ड़ और ढ़

विशेष:- इनको द्विगुणी व द्विस्पृष्ठ भी कहते हैं।

 

6. प्रकंपित व्यंजन वर्ण :- वे वर्ण का उच्चारण करते समय जिह्वा से लुढ़कता हुआ सा बेलन की तरह लपेटकर उच्चरित हुआ सा प्रतीत हो उसे प्रकम्पित या लुण्ठित वर्ण कहते हैं।

जैसे :- र

 

7. पार्श्विक व्यंजन वर्ण :– जिस व्यंजन वर्ण का उच्चारण करते समय जिह्वा वर्त्स्य भाग को स्पर्श करते हुए रुक जाती है और निकलने वाली वायु जिह्वा के किनारों से बाहर निकलती है, उसे पार्श्विक या वर्त्स्य वर्ण कहते हैं।

जैसे :- ल

 

8. संघर्षहीन व्यंजन वर्ण :- वे व्यंजन वर्ण जिनका उच्चारण करते समय कहीं कोई संघर्ष की स्थिति उत्पन्न नहीं होती उन्हें संघर्षहीन व्यंजन कहते हैं।

जैसे। :- य, व

इन्हें अर्ध स्वर भी कहा जाता है।

 

बाह्य प्रयत्न के आधार पर स्वर और व्यंजन वर्ण के भेद

 

बाह्य प्रयत्न दो प्रकार का होता है :-

 

1. प्राणत्व के आधार पर – (क) अल्प प्राण (ख) महाप्राण

 

2. घोषत्व के आधार पर – (क) घोष या सघोष (ख) अघोष

 

अल्प प्राण वर्ण :

वे वर्ण जिनका उच्चारण करते समय फेफड़ों के द्वारा छोड़ी जाने वाली वायु की मात्रा कम होती है उन्हें अल्प प्राण वर्ण कहा जाता है ।

अल्प प्राण के अंतर्गत सभी स्वर वर्ण आते हैं, और प्रत्येक वर्ग का पहला, तीसरा और पांचवा वर्ण आता है। तथा य, र, ल, व वर्ण आते हैं। इनकी संख्या 30 होती है।

 

महाप्राण वर्ण :

वे वर्ण जिनका का उच्चारण करते समय फेफड़ों के द्वारा छोड़ी जाने वाली वायु की मात्रा अधिक होती है , उन्हें महाप्राण वर्ण कहा जाता है।

महाप्राण के अंतर्गत प्रत्येक वर्ग का दूसरा और चौथा वर्ण आता है। तथा श, ष, स, ह वर्ण आते हैं। उनकी संख्या 14 होती है।

 

घोष / सघोष वर्ण :-

वे वर्ण जिनका उच्चारण करते समय स्वर तंत्र में गूंज या कंपन की स्थिति उत्पन्न होती है उन्हें सघोष वर्ण कहते हैं।

सघोष वर्ण के अन्तर्गत प्रत्येक वर्ग का तीसरा ,चौथा ,पांचवा वर्ण और सभी स्वर तथा य, र, ल, व , ह वर्ण आते हैं। इनकी संख्या कुल 31 होती है।

 

अघोष वर्ण :-

वे वर्ण जिनका उच्चारण करते समय स्वर तंत्र में गूंज या कंपन की स्थिति उत्पन्न नहीं होती है उन्हें अघोष वर्ण कहा जाता है। इनमें प्रत्येक वर्ग का पहला और दूसरा वर्ण तथा श, ष, स वर्ण आते हैं। इनकी कुल संख्या 13 होती है।

 

हिन्दी में वर्णमाला के महत्वपूर्ण  FAQ-23

1.  हिन्दी वर्णमाला के अन्तर्गत कितने स्वर होते हैं?

 

उत्तर – 11 स्वर ( अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ए ओ औ)

 

2. हिन्दी वर्णमाला के अन्तर्गत कितने व्यंजन होते हैं?

उत्तर – 33 व्यंजन।

3. हिन्दी वर्णमाला  में कितने संयुक्त व्यंजन वर्ण होते हैं?

उत्तर – 4 ( क्ष, त्र, ज्ञ, श्र )

4. हिन्दी वर्णमाला के अन्तर्गत कितने संयुक्त स्वर होते हैं?

उत्तर – 4 (ए, ऐ, ओ, औ)

5. हिन्दी वर्णमाला में उत्क्षिप्त वर्ण कौन-कौन से हैं।

उत्तर – ड़ और ढ़

6. हिन्दी में वर्ण  के अन्तर्गत अन्त स्थ व्यंजन वर्ण कौन-कौन से हैं।

उत्तर – य, र, ल, व

7. हिन्दी वर्णमाला के अन्तर्गत ध्वनि किसे कहते हैं।

उत्तर – भाषा की वह सबसे छोटी इकाई जिसके और खंड नहीं किये जा सकते, उनकी मौखिक अभिव्यक्ति ही ध्वनि कहलाती है।

8 हिन्दी में वर्ण  किसे कहते हैं।

उत्तर – भाषा की वह सबसे छोटी लिखित इकाई जिसके खण्ड नहीं किये जा सकते , उसे वर्ण कहते हैं।

9. हिन्दी वर्णमाला में लिपि की परिभाषा क्या है।

उत्तर – मनुष्य भाषा का आदान-प्रदान बोलकर करता है परंतु कभी-कभी उसे लिखकरभी अभिव्यक्ति करनी पड़ती है। लिखित भाषा में मूल ध्वनियों के लिए जो चिन्ह मान लिए गए हैं और उन्हें जिस रूप में लिखा जाता है उसे लिपि कहते हैं।

10. हिन्दी वर्णमाला किसे कहते हैं?

उत्तर  – हिन्दी में वर्णमाला का अर्थ वर्णमाला में वर्ण का उच्चारण स्थान, भेद, उत्पत्ति, निर्माण आदि के अध्ययन को वर्ण विचार कहते है।

जैसे :- कमल = क्+अ+म्+अ+ल्+अ

रोशनी = र्+ओ श्+न्+ई

11. हिन्दी वर्णमाला में अनुनासिक स्वर किसे कहते हैं?

उत्तर :- जिन स्वरों के उच्चारण में वायु यदि मुख साथ नासिका के द्वारा भी बाहर निकलती है, तो वे अनुनासिक स्वर कहलाते हैं।

12. हिन्दी वर्णमाला में अयोगवाह वर्ण कौन से हैं?

उत्तर :- हिन्दी वर्णमाला में अं और अ: अयोगवाह वर्ण हैं।

13. हिंदी वर्णमाला 52 अक्षर में स्पर्श व्यंजन कितने हैं?

उत्तर :- 25

14. हिंदी वर्णमाला में नासिक्य वर्ण कौन-कौनसे हैं ?

उत्तर :- ङ, ञ्, ण, न, म

15. प्रयत्न के आधार पर व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर :- दो प्रकार के होते हैं।

1. आभ्यंतर प्रयत्न

2. बाह्य प्रयत्न

16. ध्वनि किसे कहते हैं?  dhwani kise kahte hai/

उत्तर :- मनुष्य अपने भावों , विचारों को बोलकर व्यक्त करता है। अतः – ” भाषा की सबसे छोटी मौखिक इकाई को ध्वनि कहते हैं।”

17. हिन्दी वर्णमाला में अक्षर को परिभाषित कीजिए।

उत्तर : अक्षर का संधि विच्छेद होता है – अ + क्षर । अर्थात जिसका कभी क्षरण न हो। अतः ” जिसका कभी क्षरण या नाश नहीं होता है, उसे अक्षर कहते हैं।”

18. हिन्दी वर्णमाला में उत्क्षिप्त वर्ण का प्रयोग समझाइए।

उत्तर :- इन वर्णों का प्रयोग शब्द के शुरू में नहीं होता है।

जैसे:- डमरू , ढोलक, ढक्कन , डलिया

इन वर्णों का प्रयोग शब्द के मध्य में किया जाता है।

जैसे :- सड़क , पढ़ाई , पकड़ना , ढूंढ़ना

 

हिन्दी वाच्य (Voice)

 

Spread the love
               

Hindi Gyan
Sansar

हम hindigyansansar.com वेबसाइट आप सभी को परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए यहां हैं।

Contact Us

Call Us on : 9461913326

Email : hindigyansansar24@gmail.com

© Hindi Gyan Sansar. All Rights Reserved. Website Developed By Media Tech Temple