Hindi Gyan Sansar is Best Plateform for Learning and Entertainment.
Hindi Grammar / October 29, 2024

कारक के भेद उदाहरण सहित/ पढ़िए best notes/हिन्दी में 8 कारकों की अवधारणा – 25 by Kanhaiya Singh

हिन्दी व्याकरण का कारक महत्वपूर्ण भाग है। इस लेख में कारक के भेद उदाहरण सहित, कारक किसे कहते हैं, कारक चिह्न, Karak in Hindi, Karak ki paribhasha और हिन्दी में आठ कारक चिह्नों का प्रयोग, विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से सरल भाषा में समझिए।

 

 

 

कारक के भेद उदाहरण सहित/ कारक की परिभाषा , Karak kise kahte hai, Karak in Hindi

 

 

जानिए हिन्दी में आठ कारकों की अवधारणा

कारक क्या होता है ?

कारक किसे कहते हैं?

कारक की परिभाषा – Karak ki paribhasha 

कारक का शाब्दिक अर्थ होता है – कार्य को करने वाला।

“संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य में किसी दूसरे शब्द के साथ संबंध का पता चलता है, उसे कारक कहते हैं।”

जैसे : राम ने रावण को बाण से मारा।

उक्त वाक्य में राम कर्ता है, रावण कर्म है और बाण साधन है।

 

विभक्ति या परसर्ग : Karak in Hindi 

कारक की पहचान विभक्ति चिह्न से होती है।

विभक्ति का शाब्दिक अर्थ होता है : रूप परिवर्तन।

कारक को प्रकट करने के लिए संज्ञा और सर्वनाम शब्दों के साथ जो चिह्न लगाए जाते हैं, उन चिह्नों को परसर्ग या विभक्ति कहते हैं।

दूसरे शब्दों में : “वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का रूप प्रकट करने के लिए जिस चिह्न का प्रयोग किया जाता है उसे विभक्ति कहते हैं।”

विभक्ति चिह्न को ‘परसर्ग‘ भी कहा जाता है।

कारक के भेद – Karak in Hindi 

हिंदी में कितने कारक होते हैं।

हिंदी में 8 कारक होते हैं 

1. कर्ता कारक 

2. कर्म कारक 

3. करण कारक 

4. संप्रदान कारक 

5. अपादानकारक 

6. संबंध कारक 

7. अधिकरण कारक 

8. संबोधन कारक

कारक के भेद, विभक्ति और विभक्ति चिह्न 

विभक्ति = कारक = विभक्ति चिह्न (परसर्ग)

प्रथमा = कर्ता = ने

द्वितीया = कर्म = को

तृतीया = करण = से

चतुर्थी = सम्प्रदान = के लिए

पंचमी = अपादान = से अलग होना

षष्ठी = सम्बन्ध = का, की, के,

सप्तमी = अधिकरण = में, पर

अष्टमी = सम्बोधन = हे!, ओ!, अरे!

 

1. कर्ता कारक : Karak in Hindi 

किसी वाक्य में ‌संज्ञा या सर्वनाम जिस रुप से क्रिया के करने का बोध होता है, उसे कर्ता कारक कहते हैं। कर्ता कारक का विभक्ति चिह्न ” ने “ होता है। विभक्ति चिह्न कभी कर्ता के साथ प्रयुक्त होता है, कभी लुप्त हो जाता है। जैसे :

 

कर्ता कारक के 10 उदाहरण 

A. मोहन ने पत्र लिखा।

B. रोहन ने पुस्तक पढ़ी।

C. शिक्षक ने छात्रों को पढ़ाया।

D. अमित ने सुमित को पुस्तक दी।

E. सुमित खाता है।

F. राम ने रावण को मारा।

G. रोशनी गाती है।

H. मोहित विद्यालय जाता है।

I . सीता खाना पकाती है।

J. गोलू जा रहा है।

कर्ता कारक के महत्वपूर्ण तथ्य 

अ). कर्ता कारक में भूतकाल में सकर्मक क्रिया में ने कि प्रयोग किया जाता है।

ब). वर्तमान और भविष्य काल में ने विभक्ति चिह्न का प्रयोग नहीं होता है।

स). अकर्मक क्रिया के साथने ” का प्रयोग नहीं किया जाता है।

द). प्रेरणार्थक क्रिया के साथ “ने “ कि प्रयोग किया जाता है। जैसे

राम ने मोहन से पत्र लिखवाया।

 

2. कर्म कारक – Karak in Hindi 

“किसी वाक्य में क्रिया का फल जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द पर पड़ता है उसे कर्म कारक होता है। अर्थात किसी वाक्य में क्रिया का फल जिस शब्द पर पड़ता है उसे कर्म कारक कहते हैं।” कर्म कारक का विभक्ति चिन्ह ‘को’ होता है। जैसे:

 

राम ने रावण को मारा।

इस वाक्य में राम शब्द करता कारक है और रावण शब्द कर्म कारक है।

Note : कर्ता कारक के समान कर्म कारक में भी विभक्ति सहित और विभक्ति रहित वाक्य होते हैं। जैसे :

विभक्ति रहित कर्म कारक 

मोहन पुस्तक पढ़ता है।

इस वाक्य में पुस्तक शब्द विभक्ति चिह्न रहित है। इसमें कर्म कारक की पहचान करने के लिए हम ‘ क्या ‘ लगाकर प्रश्न करेंगे।जैसे – मोहन क्या पढ़ता है। इसका उत्तर आएगा : पुस्तक ।अर्थात यहां कर्म कारक होगा।

 

विभक्ति सहित कर्म कारक

शिक्षक ने विद्यार्थी को पीटा।

यहां विद्यार्थी शब्द विभक्ति चिह्न सहित है। इस वाक्य में हम ‘किसको’ लगा कर प्रश्न पूछेंगे।

प्रश्न : शिक्षक ने किसको पीटा?

उत्तर : विद्यार्थी को।

अर्थात इस वाक्य में विद्यार्थी शब्द कर्म है। अतः यह वाक्य कर्म कारक है।

किसी वाक्य में यदि क्रिया द्विकर्मक हो तो उसमें एक कर्म प्रधान होता है तथा दूसरा कर्म गौड़ होता है। 

प्रधान और गौड़ कर्म की पहचान कैसे करें?

इसकी पहचान के लिए जो वस्तुबोधक कर्म प्रधान होता है तथा प्राणीबोधक कर्म गौड़ होता है। जैसे :

मां बच्चे को दूध पिलाती है।

इस वाक्य में मां कर्ता है।

बच्चे गौड़ कर्म है।

दूध प्रधान कर्म है।

विशेष : कर्म कारक में विभक्ति रहित और विभक्ति सहित अर्थात को विभक्ति के साथ वाक्य होते हैं। इनके अलावा कर्म कारक में कभी-कभी ‘ से ‘ विभक्ति चिह्न का प्रयोग किया जाता है।

जैसे :

1. अध्यापक ने छात्रा से प्रश्न पूछा।

2. मोहन राधा से प्रेम करता है।

 

कर्म कारक के उदाहरण :

A. भगवान कृष्ण ने कंस को मारा।

B. सिपाही ने चोर को पकड़ा।

C. रोहन ने बच्चे को पीटा।

D. सीता खाना पकाती है।

E. राम आम खाता है।

F. बच्चे फल खाते हैं।

G. ग्वाला पशुओं को चराता है।

H. रीता गीता से ईर्ष्या करती है।

 

3. करण कारक – (कारक किसे कहते हैं)

करण का शाब्दिक अर्थ होता है – साधन या माध्यम। अर्थात “किसी वाक्य में जिस साधन या मध्यम से क्रिया का होना पाया जाता है, उसे करण कारक कहते हैं। करण कारक का विभक्ति चिह्न से, द्वारा होता है। जैसे :

सोनू ने लाठी से सांप को मारा। 

इस वाक्य में सांप को मारने के लिए लाठी का प्रयोग किया गया है। अतः यहां लाठी साधन या माध्यम होगा।

 

करण कारक के उदाहरण 

A. बच्चा खिलौनों से खेलता है।

B. मोहन बस द्वारा जयपुर गया।

C. सीता चाकू से सब्जी काटती है।

D. जितेश साइकिल से विद्यालय जाता है।

E. छात्र पेन से पत्र लिखता है।

F. अध्यापक पुस्तक द्वारा बच्चों को पढाता है।

G. राम ने रावण को बाण से मारा।

H. बच्चे फुटबॉल से खेल रहे हैं।

 

4. संप्रदान कारक – कारक चिह्न 

संप्रदान का शाब्दिक अर्थ होता है – देना।

अर्थात किसी वाक्य में दूसरे को कुछ दिया जाए वहां संप्रदान कारक होता है।

“किसी वाक्य में कर्ता के द्वारा किसी को कोई वस्तु दी जाती है या देने के अर्थ में क्रिया की जाती है उसे संप्रदान कारक कहते हैं।”

संप्रदान कारक का विभक्ति चिन्ह ” के लिए “ होता है।

जैसे :

A. गोपाल ने भिखारी को कपड़े दिए।

B. इस वाक्य में गोपाल कर्ता है।

C. भिखारी के साथ क्रिया की गई।

D. कपड़े भिखारी को दिए गए।

 

संप्रदान कारक की विशेष बिंदु 

अ)  संप्रदान कारक में के लिए विभक्ति चिन्ह के स्थान पर के वास्ते, के निमित्त का प्रयोग भी किया जाता है। जैसे :

1. आपके वास्ते खाना लेकर आया हूं।

2. भाई के निमित्त दवाई लेकर आया हूं।

3. यह सामग्री हवन के निमित्त है।

4. मैं आपके वास्ते यहां खड़ा हूं।

 

ब). जब किसी व्यक्ति द्वारा कोई वस्तु स्थाई रूप से दी जाए तो वहां को विभक्ति का प्रयोग संप्रदान कारक में किया जाता है। जैसे:

A. मोना ने बच्चों को भिक्षा दी।

B. अध्यापक ने बच्चों को सर्दी के कपड़े बांटे।

 

स). किसी के साथ अभिवादन किया जाए, वहां संप्रदान कारक होता है।

A. गुरु को प्रणाम।

B. माताजी को चरण स्पर्श।

C. सभी को नमस्कार।

D. भाई को प्रणाम।

 

5. अपादान कारक  – कारक चिह्न 

अपादान कारक में किसी व्यक्ति या वस्तु के पृथक होना, अलग होना या तुलना करने का बोध होता है। अर्थात जिस वाक्य में किसी स्थान या वस्तु से किसी वस्तु या व्यक्ति के अलग होने या तुलना करने का पता चलता है, उसे अपादान कारक कहते हैं।

जैसे :

A. पेड़ से पत्ता गिरता है।

B. हिमालय से गंगा निकलती है।

ऊपर लेकर दोनों वाक्य में अलग होने का भाव है अर्थात यहां अपादान कारक होगा।

 

अ. भय या डर के अर्थ में अपादान कारक का प्रयोग किया जाता है।

जैसे

A. राजेश शेर से डरता है।

B. बालक सांप से डरता है।

C. हिरण शेर से डरता है।

D. विद्यार्थी अध्यापक से डरते हैं।

 

ब. ईर्ष्या या घृणा के अर्थ में भी अपादान कारक का प्रयोग किया जाता है। जैसे

बबीता सीता से घृणा करती है।

श्याम मोहन से ईर्ष्या करता है।

 

स. लज्जा के भाव में अपादान कारक का प्रयोग होता है।

A. बहु ससुर से लजाती है।

B. छात्र अध्यापक से शरमाते हैं।

 

द. किसी से शिक्षा ग्रहण की जाए उसके अर्थ में अपादान कारक का प्रयोग होता है। जैसे

A. बालक शिक्षक से शिक्षा ग्रहण करते हैं।

B. अर्जुन ने द्रोणाचार्य से धनुर्विद्या सीखी।

C. एकलव्य ने द्रोणाचार्य की मूर्ति से धनुर्विद्या सीखी।

 

य. तुलना के अर्थ में अपादान कारक का प्रयोग होता है।

A. मोनू सोनू से होशियार है।

B. गीता सीता से चतुर है।

 

र . गत्यर्थक क्रिया वाले वाक्य में अपादान कारक का प्रयोग होता है।

A. राष्ट्रपति अमेरिका से कल लौट आए।

B. पिताजी जयपुर से वापस आ गए हैं।

 

6. संबंध कारक – कारक चिह्न 

किसी वाक्य में किसी संज्ञा या सर्वनाम का संबंध किसी अन्य शब्द या क्रिया के साथ हो वहां संबंध कारक होता है। संबंध कारक विभक्ति का, की के होती है। इसके अलावा रा, री,रे,ना,नी, ने का भी प्रयोग किया जाता है। जैसे :

उदाहरण

A.  रोहन जितेश का दोस्त है।

B. दिल्ली के बाजार में बहुत भीड़ होती है।

C. राम का भाई वन विहार में रहता है।

D. मेरे दोस्त कल घर आएंगे।

E. अपना आधार कार्ड लाओ।

 

7. अधिकरण कारक – Adhikaran Karak ki paribhasha 

अधिकरण का शाब्दिक अर्थ होता है – आधार।

“किसी वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जिसमें क्रिया के आधार का पता चलता है उसे अधिकरण कारक कहते हैं।” इसका विभक्ति चिन्ह में, पर होता है।

 

अधिकरण कारक में आधार तीन प्रकार से होते हैं।

1. स्थान का आधार – किसी वाक्य में कोई स्थान बोधक शब्द का प्रयोग किया जाता है वहां स्थान आधार होता है। जैसे

A. मेज पर पुस्तक रखी है।

B. छत पर बंदर बैठा है।

C. मछलियां पानी में तैर रही हैं।

D. समुद्र में पनडुब्बी चल रही है।

 

2. समय का आधार – जब किसी वाक्य में कालबोधक शब्द का प्रयोग किया जाता है। जैसे

मेरा मित्र 5 मिनट में आ रहा है।

सप्त 1 घंटे में अपना गृह कार्य पूरा कर लेगी।

 

3. भाव का आधार – किसी वाक्य में कोई क्रिया ही क्रिया का आधार बने वहां भाव आधार होता है। जैसे

A. रितेश भागने में तेज है।

B. मोनिका पढ़ने में तेज है।

C. वृद्ध व्यक्ति चलने में धीमा है।

 

अधिकरण कारक के विशेष तथ्य

अधिकरण कारक में मैं ,पर के अलावा अन्य विभक्ति चिह्न का भी प्रयोग किया जाता है। जैसे के अंदर, के सामने, के ऊपर, के भीतर आदि।

A. कमरे के अंदर कुर्सी रखी है।

B. विद्यालय के सामने राम का घर है।

C. मेज के ऊपर पुस्तक रखी है।

D. बालक घर के भीतर है।

 

8. संबोधन कारक – Karak in Hindi 

जिस वाक्य में किसी को संबोधित करके पुकारा जाए या किसी का संबोधन किया जाए वहां संबोधन कारक होता है।

इसकी विभक्ति चिन्ह हे, ओ, अरे होते हैं।

A. अरे! कहां जा रहे हो?

B. हे! भगवान मेरी सहायता करो।

C. बच्चों! उधर मत जाना।

D. अरे! इधर आओ।

 

कारक के भेद उदाहरण सहित – FAQ

 

1. कारक की परिभाषा क्या है?

कारक का शाब्दिक अर्थ होता है – कार्य को करने वाला। “संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य में किसी दूसरे शब्द के साथ संबंध का पता चलता है, उसे कारक कहते हैं।”

 

2. हिन्दी में कारक के भेद कितने होते हैं?

उत्तर : हिन्दी में कारक के आठ भेद होते हैं।

कर्ता कारक, कर्म कारक, करण कारक, सम्प्रदान कारक, अपादान कारक, सम्बन्ध कारक, अधिकरण कारक, सम्बोधन कारक।

हिन्दी व्याकरण – सहज सीखिए – Class 6 to 12

Varn Vichar in Hindi/ उत्क्षिप्त वर्ण क्या होता है -1

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Spread the love
               

Hindi Gyan
Sansar

हम hindigyansansar.com वेबसाइट आप सभी को परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए यहां हैं।

Contact Us

Call Us on : 9461913326

Email : hindigyansansar24@gmail.com

© Hindi Gyan Sansar. All Rights Reserved. Website Developed By Media Tech Temple