इस लेख में REET 2025 के लिए बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र (child development and pedagogy)के important notes और question answer तैयार किये जा रहे हैं। आप अपनी परीक्षा की तैयारी में निखार लाने लिए और समझ विकसित करने के लिए पढ़िए – Best Child development and pedagogy REET 2025 Notes
बाल विकास की अवस्थाएं
वाटसन के अनुसार
“शैशवास्था में सीखने की सीमा व तीव्रता विकास की अन्य अवस्था से बहुत अधिक होती है।”
एडलर के अनुसार
“शिशु के जन्म के कुछ समय बाद ही यह निश्चित किया जा सकता है कि भविष्य में उसका क्या स्थान है।”
फ्रायड के अनुसार
“शिशु में काम प्रवृत्ति बहुत प्रबल होती है परन्तु वयस्कों की भांति उसकी अभिव्यक्ति नहीं होती है।”
स्टैंग के अनुसार
“जीवन के प्रथम दो वर्षों में बालक अपने भावी जीवन का शिलान्यास करता है।”
रूसो के अनुसार
“बालक के हाथ पैर व नेत्र उसके प्राथमिक शिक्षक होते हैं। इन्हीं के द्वारा वह 5 वर्ष में ही पहचान सकता है, सोच सकता है, और याद कर सकता है।”
गैसल के अनुसार
“बालक प्रथम 6 वर्ष में बाद के 12 वर्ष से भी दोगुना सीख जाता है।”
राॅस के अनुसार
“शिशु कल्पना का नायक है अतः उसका भली प्रकार निर्देशन अपेक्षित है।”
न्यूमैन के अनुसार
“5 वर्ष तक की अवस्था शरीर व मस्तिष्क के लिए बड़ी ग्रहणशील रहती है।”
ब्रिजेश के अनुसार
“2 वर्ष के उम्र तक बालक में लगभग सभी संवेगों का विकास हो जाता है।”
वैलेंटाइन के अनुसार
“शैशवावस्था सीखने का आदर्शकाल है।”
क्रो एंड क्रो के अनुसार
१. “बीसवीं शताब्दी बालकों की शताब्दी है।”
२. “शैशवावस्था औसतन जन्म से 5 या 6 वर्ष तक चलती है , जिसमें संवेदनात्मक मार्ग कार्य करने लगते हैं और बच्चा रेंगने चलने और बोलने को सीखता है।”
बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र
राॅस के अनुसार
“बाल्यावस्था को मिथ्या या छद्म परिपक्वता का काल कहा जाता है।”
सिगमण्ड फ्रायड के अनुसार
“बाल्यावस्था को काम की प्रसुप्तावस्था कहा जाता है।”
सिम्पसन, जोन्स और ब्लेयर के अनुसार
“शैक्षिक दृष्टिकोण से बाल्यावस्था से अधिक जीवन में कोई महत्वपूर्ण अवस्था नहीं है।”
स्ट्रैंग के अनुसार
१. “शायद ही ऐसा कोई खेल हो जिसे 10 वर्ष के बालक ना खेलते हो।”
२. “बालक अपने को अति विशाल संसार में पाता है और उसके बारे में जल्दी से जल्दी जानकारी प्राप्त करना चाहता है।”
किल्पैट्रिक के अनुसार
“बाल्यावस्था को प्रतिद्वंद्वात्मक समाजीकरण का काल कहा जाता है।”
बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र
वैलेंटाइन के अनुसार
१. “किशोरावस्था अपराध प्रवृति का नाजुक समय है।
२. “घनिष्ठ व्यक्तिगत मित्रता उत्तर किशोरावस्था की विशेषता होती है।”
स्किनर के अनुसार
“किशोर को निर्णय लेने का कोई अनुभव नहीं होता है।”
राॅस के अनुसार
“किशोरावस्था शैशवावस्था की पुनरावृत्ति है।”
किलपैट्रिक के अनुसार
“किशोरावस्था को जीवन का सबसे कठिन काल कहा जाता है।”
स्टैनले हॉल के अनुसार
“किशोरावस्था प्रबल दबाव, तनाव, तूफान व संघर्ष का काल है।”
बाल विकास की अवस्थाओं के उपनाम
Child development and pedagogy
(Shaishavavastha)
1. सीखने का आदर्शकाल
2. खिलौनों की आयु
3. जीवन का सबसे महत्वपूर्ण काल
4. क्षणिक संवेग की अवस्था
5. अतार्किक चिन्तन की अवस्था
6. भावी जीवन के आधारशिला
7. अनुकरण द्वारा सीखने की अवस्था
8. मूल प्रवृत्तियों के विकास की अवस्था
9. कल्पना की अवस्था
10. समुचित सांवेगिक विकास की दृष्टि से स्वर्णिम काल।
11. आत्म प्रेम की अवस्था
12. तीव्रता से शारीरिक विकास की अवस्था।
13. दोहराने की प्रवृत्ति।
(Balyavastha)
1. जीवन का अनोखा काल
2. जीवन का निर्माण काल
3. खेल की आयु
4. Play age/ game age
5. टोली, दल, समूह की आयु
6. स्थूल संक्रियात्मक अवस्था
7. प्रारंभिक विद्यालय की आयु
8. मिथ्या परिपक्वता का काल
9. वैचारिक क्रिया अवस्था
10. मूर्ति चिंतन की अवस्था
11. प्रतिद्वंदात्मक समाजीकरण का काल
12. नेता बनने की भावना
13. बाल्यावस्था में सामाजिकता विकसित होती है।
14. समलैंगिक समूह भावना
15. बाल्यावस्था तीव्र शारीरिक क्रियाशीलता और अभिवृद्धि का काल है।
16. निरुद्देश्य भ्रमण की अवस्था
17. बाल्यावस्था कल्पना शक्ति और अमूर्त चिंतन के प्रारंभ का काल
18. यथार्थवादी दृष्टिकोण की अवस्था
19. नए कौशलों और क्षमताओं के विकास की वृद्धि में स्वर्णिम काल
1. घनिष्ठ एवं व्यक्तिगत मित्रता
2. Age of beauty
3. दल भक्ति की अवस्था
4. जीवन का सबसे कठिन काल
5. अमूर्त चिंतन की अवस्था
6. समस्याओं कीअवस्था
7. आप सम्मान की भावना की अवस्था
8. द्रुत एवं तीव्र विकास की अवस्था
9. ईश्वर व धर्म में विश्वास की अवस्था
10. काम भावना की अवस्था
11. वीर पूजा के प्रवृत्ति
12. अटपटी व उलझन की अवस्था
13. बसंत ऋतु
14. सामाजिक स्वीकृति की अवस्था
15. संवेगात्मक परिवर्तन की अवस्था
16. प्रबल दबाव व तनाव की अवस्था
17. स्वर्ण काल
18. उथल-पुथल की अवस्था
19. तार्किक चिंतन कीअवस्था
20. व्यक्तिगत एवं घनिष्ठ मित्रता की अवस्था
21. आत्मसम्मान की अवस्था
22. आत्मस्वीकृत की अवस्था
23. संघर्ष एवं तूफान की अवस्था
24. टीन एज ( thirteen and eighteen के मध्य की अवस्था)
25. संक्रमण काल की अवस्था
26. संक्रांति काल
1. बंडूरा = अल्बर्ट बाण्डूरा
2. फ्रोबेल = फ्रेडरिक विलियम अआगस्ट फ्रोबेल (जर्मनी)
3. थार्नडाइक = एडवर्ड ली थार्नडाइक (USA)
4. कोहलबर्ग = लारेंस कोहलबर्ग
5. मोरेनो = जैकब लेवी मोरेनो ( रोमानिया)
6. स्टैनले हॉल = ग्रानविले स्टैनले हॉल (USA)
7. स्किनर = ब्रहस फ्रेडरिक स्किनर (USA)
8. वाशवर्न = कालटर्न वाशवर्न
9. टिचनर = एडवर्ड ब्राडफोर्ड टिचनर ( इंग्लैंड)
10. स्पेंसर = हर्बर्ट स्पेंसर
11. वाटसन = जाॅन ब्राॅड्स वाटसन (USA)
12. किलपैट्रिक = विलियम हेनरी किलपैट्रिक
13. पावलाव = ईवान पैंट्रोविक पावलाव ( रूस)
14. टालमैन = एडवर्ड सीटा टालमैन
15. बिने = अल्फर्ट बिने
16. वुण्ट = विलियम वुण्ट
17. स्टर्न = विलियम स्टर्न
18. जीन पियाजे = जीन विलियम फ्रिट्ज पियाजे
19. कैटल = रेमंड बर्नार्ड कैटल
20. मैक्डूगल = विलियम मैक्डूगल
21. टरमन = लैविस मैडिसन टर्मन
22. मांटेसरी = मारिया मांटेसरी
23. कुक = हेनरी काल्डवेल कुक
24. पेस्टालाजी = जाॅन हेनरिक पेस्टालाजी
25. जुंग = कार्ल गास्टोव जुंग
26. आॅसब्रोन = एलैक्स फैंकने आॅसब्रोन
हरमन रोर्शा – यह एक मनोचिकित्सक थे। इन्होंने स्याही के धब्बों वाला परीक्षण का निर्माण 1921 में किया था। इस परीक्षण को प्रक्षेपण विधि के नाम से जाना जाता है।
इस विधि में परीक्षार्थियों को दस स्याही के धब्बों पर प्रतिक्रिया करनी होती थी। इन दस कार्ड्स में पांच काले रंग के, दो कार्ड्स लाल व काले रंग और तीन कार्ड विभिन्न रंगों के प्रयोग में लाए जाते हैं।
विलियम वुण्ट :– वुण्ट ने 1879 जर्मनी के लिपजिग नामक शहर में प्रयोगशाला की स्थापना की थी। इन्होंने मनोविज्ञान को चेतना का विज्ञान माना।
विलियम वुण्ट को प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का जनक कहा जाता है।
टरमन : इन्होंने बुद्धि लब्धि के सम्बन्ध में अपने विचार प्रकट किए। और बुद्धिलब्धि का सूत्र दिया।
बुद्धि लब्धि = मानसिक आयु/ वास्तविक आयु *100
जीन पियाजे : पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
स्किनर : स्किनर ने शिक्षा मनोविज्ञान को शिक्षक के निर्माण की आधारशिला कहा गया। स्किनर ने चूहा और कबूतर पर अपने प्रयोग किए तथा क्रिया प्रसूत अनुसन्धान का सिद्धांत दिया ।
महात्मा गांधी : महात्मा गांधी ने भारत में बेसिक शिक्षा को बढ़ावा दिया। बेसिक शिक्षा मातृभाषा में दी जानी चाहिए। इनका कथन है – “शिक्षा का अर्थ मैं बालक या मनुष्य में आत्मा, शरीर और बुद्धि में सबसे अच्छे विकास से समझता हूं।
वाटसन : वाटसन को व्यवहारवाद का जनक कहा जाता है। इन्होंने मनोविज्ञान को व्यवहार का विज्ञान कहा था। इन्होंने बताया कि ” मनोविज्ञान का उद्देश्य व्यवहार की व्याख्या, नियन्त्रण और उसके विषय में भविष्यवाणी करना है”।
इनका एक अन्य कथन :- “तुम मुझे कोई भी बालक दो और मैं उसे कुछ भी बना सकता हूं।”
1. सीखने का आदर्श कल कौन सी अवस्था को कहा जाता है?
उत्तर : शैशवावस्था ।
2. मिथ्या एवं परिपक्वता का काल किस अवस्थाओं कहा गया है?
उत्तर :- बाल्यावस्था।
3. दल भक्ति किस अवस्था में होती है?
उत्तर : किशोरावस्था में।
4. संघर्ष एवं तूफान का काल कहा गया है?
उत्तर : किशोरावस्था को
5. “किशोरावस्था प्रबल दबाव, तनाव, तूफान व संघर्ष का काल है।” यह कथन किस मनोवैज्ञानिक का है?
उत्तर : स्टेनले हाल
6.;निम्नलिखित कथन किसका है?
“बीसवीं शताब्दी बालकों की शताब्दी है।”
उत्तर : क्रो एंड क्रो का।
7. “बालक प्रथम 6 वर्ष में बाद के 12 वर्ष से भी दोगुना सीख जाता है।” उक्त कथन किसका है?
उत्तर : गैसल का ।
8. ईश्वर व धर्म में विश्वास की अवस्था कौनसी है?
उत्तर : किशोरावस्था।
9. जीवन का सबसे कठिन काल कहा जाता है?
उत्तर : किशोरावस्था को।
10. बाल्यावस्था को मिथ्या या छद्म परिपक्वता का काल किसने कहा है?
उत्तर : राॅस ने
11. “बालक के हाथ पैर व नेत्र उसके प्राथमिक शिक्षक होते हैं। इन्हीं के द्वारा वह 5 वर्ष में ही पहचान सकता है, सोच सकता है, और याद कर सकता है।” यह किसका कथन है?
उत्तर : रूसो का।
12. प्रमुख मनोवैज्ञानिकों का पूरा नाम लिखिए?
1. बंडूरा = अल्बर्ट बाण्डूरा
2. फ्रोबेल = फ्रेडरिक विलियम अआगस्ट फ्रोबेल (जर्मनी)
3. थार्नडाइक = एडवर्ड ली थार्नडाइक (USA)
4. कोहलबर्ग = लारेंस कोहलबर्ग
5. मोरेनो = जैकब लेवी मोरेनो ( रोमानिया)
6. स्टैनले हॉल = ग्रानविले स्टैनले हॉल (USA)
7. स्किनर = ब्रहस फ्रेडरिक स्किनर (USA)
8. वाशवर्न = कालटर्न वाशवर्न
9. टिचनर = एडवर्ड ब्राडफोर्ड टिचनर ( इंग्लैंड)
10. स्पेंसर = हर्बर्ट स्पेंसर
Varn Vichar in Hindi/ उत्क्षिप्त वर्ण क्या होता है -1
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