Aankh Ka Tara Hona Muhawara/ आंख का तारा होना” मुहावरे का अर्थ क्या होता है ?
हिन्दी व्याकरण में ‘आंख का तारा होना ‘ (Aankh Ka Tara Hona) मुहावरे का प्रयोग प्रयोग अक्सर उस समय किया जाता, जब कोई व्यक्ति या वस्तु किसी इंसान को बहुत अधिक प्यारा लगता है और वह उससे ज्यादा लगाव रखता है। इस मुहावरे का विस्तृत अध्ययन कीजिए।
इसके समानार्थी मुहावरे (Samanarthi Muhaware)
आंख का तारा होना हिन्दी भाषा का लोकप्रिय मुहावरा है। जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति अधिक प्रिय होता हो, तब आम बोलचाल की भाषा में प्रयोग किया जाता है।
किसी माता-पिता के इकलौती संतान भी आंख का तारा होती है।अकेली संतान उनके लिए बहुत अधिक प्रिय होती है। क्योंकि उनके लिए वही सब-कुछ होता है, चाहे पुत्र हो या पुत्री।
1. रामू अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था, इसलिए वह उनकी आंख का तारा था।
2. हर कोई बेटी बेटा-बेटी अपने माता-पिता की आंखों का तारा होती है।
3. ईदगाह कहानी में हामिद अपनी बूढ़ी दादी अमीना की आंखों का तारा था।
4. अनूप के परिवार में चार भाई-बहन थे। उनमें अनूप सबसे छोटा होने के कारण अपने माता पिता की आंख का तारा हो गया।
5. किसी परिवार में सबसे छोटी संतान सारे परिवार की आंख का तारा होती है।
Hindi Muhavare
द्वापर युग की बात है। उस समय मथुरा का राजा कंस हुआ करता था। कंस की एक बहन थी। उसका नाम देवकी था। देवकी की शादी वसुदेव के साथ हो गई। एक बार किसी ज्योतिषी ने राजा कहा कि देवकी की आठवीं संतान आपका काल होगी।
इस बात को सुनकर राजा कंस परेशान हो जाता है। उसने देवकी की सात सन्तान को मार दिया। आठवीं संतान कृष्ण भगवान थे। कंस के द्वारा मारे जाने के डर से कृष्ण को यशोदा जी घर रातोंरात पहुंचा दिया।
भगवान कृष्ण माता यशोदा और नंद बाबा की आंख का तारा था। माता यशोदा का पुत्र कृष्ण बहुत अधिक प्रिय था।
यह घटना उस समय की है जब अयोध्या का राजा दशरथ हुआ करते थे। उनके कोई संतान नहीं थी। उनके गुरु ने एक यज्ञ करने की सलाह दी, राजा ने यज्ञ का आयोजन किया और इसके आशीर्वाद से राजा दशरथ के तीन रानियां थीं जिनसे चार पुत्र प्राप्त हुए।
उनकी पहली रानी का नाम कौशल्या था। जिससे भगवान राम का जन्म हुआ। दूसरी रानी कैकेई ने भरत को जन्म दिया। तीसरी रानी का नाम सुमित्रा था। सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।
एक बार रानी कैकेई ने पुत्र मोह आकर दासी मंथरा की बातों में आकर राजा दशरथ से दो वरदान मांग लिए। पहला वरदान अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राजा बनाना और दूसरा वरदान राम को चौदह बरस का वनवास मांगा।
राजा दशरथ ने प्रथम वरदान को तुरंत स्वीकार कर लिया और भरत को राजगद्दी पर बैठाने की तैयारी शुरू कर दी। दूसरे वरदान को बदलने के लिए राजा ने रानी कैकेई से बहुत अनुनय-विनय किया लेकिन नहीं मानी। राम राजा दशरथ के बहुत अधिक प्रिय थे। भगवान राम राजा दशरथ की आंख का तारा हो गए थे।
रानी कैकेई की हठधर्मिता के दूसरा वरदान भी राजा दशरथ को मानना पड़ा। और भगवान राम को वनवास भेज दिया। राम के साथ उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी वन चले जाते हैं। क्योंकि भगवान राम से ये भी बहुत अधिक प्यार करते थे।
राम के वन चले जाने के बाद पुत्र प्रेम के वियोग में राजा दशरथ ने अपने प्राण त्याग दिए और स्वर्गलोक सिधार गए। राम उनकी आंखों के तारा थे। इसलिए वे इस बिछुडन को सहन नहीं कर पाए।
आंख का तारा मुहावरे का भावार्थ यह है कि जब कोई वस्तु या व्यक्ति हमें बहुत अधिक प्रिय होती है तो उससे आत्मा का अक्षुण्ण लगाव हो जाता है। यदि उस वस्तु को कोई हानि पहुंचती हो तो उसका सीधा प्रभाव हमारी आत्मा पर होता है अर्थात आत्मा को ठेस पहुंचती है।
इस मुहावरे से हमें शिक्षा लेनी चाहिए कि किसी वस्तु के प्रति हमको आसक्त नहीं होना चाहिए। क्योंकि आसक्ति के कारण उस व्यक्ति या वस्तु को कोई हानि या कष्ट होता है तो हमारी आत्मा और मन पीड़ित हो उठते हैं। अतः जो विधि का विधान है वह होकर रहता है वह हमारे वश में नहीं है।
हम उम्मीद करते हैं कि “आंख का तारा होना” मुहावरे आपके जेहन में भली-भांति उतर गया होगा। यदि कोई आपके विचार हो तो कमेंट करें और अपने मित्रों को शेयर करें।
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