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MUHAWARE / March 30, 2025

कोल्हू का बैल मुहावरे का अर्थ, वाक्य और व्याख्या/ Kolhu Ka Bail Muhaware Ka Arth in Hindi -12

कोल्हू का बैल मुहावरे का अर्थ, वाक्य और व्याख्या/ Kolhu Ka Bail Muhaware Ka Arth in Hindi

 

हिन्दी व्याकरण में कोल्हू का बैल (kolhu ka bail) बहुचर्चित मुहावरा है। जब कोई व्यक्ति रात-दिन खुद की परवाह किए बिना मेहनत करता है।

 

कोल्हू का बैल मुहावरे का अर्थ/ kolhu ka bail Muhaware Ka Arth/ Matlab 

 

अर्थ / meaning-

  • दिन-रात मेहनत करना (Din Rat Mehanat Karna)

 

  • कठोर परिश्रम करना (Kathor Parishram Karna)

 

 

हिन्दी भाषा में कोल्हू का बैल मुहावरे का प्रयोग आम बोलचाल में अक्सर किया जाता है। जब कोई व्यक्ति हर वक्त कोई ना कोई काम करता है या दिन-रात मेहनत करता रहता है, तब कहा जाता है कि ऐसे कार्य कर रहा है जैसे कोल्हू का बैल। अर्थात कोल्हू के बैल की तरह काम कर रहा है।

 

कोल्हू का बैल मुहावरे का प्रयोग क्यों किया जाता है?

 

पुराने जमाने में सरसों, तिल आदि तिलहन से तेल निकालने पत्थर से बनी हुई घानी का का प्रयोग किया जाता था। जिसको एक बैल की सहायता से घुमाया जाता था। जिससे सरसों आदि का तेल निकाला जाता है। कोल्हू में काम करने वाले बैल की आंखों कपड़ा बांध दिया जाता है जिससे उसे केवल एक ही लक्ष्य दिखाई देता है केवल और केवल – चारों ओर घूमना।

 

कोल्हू का बैल होना मुहावरे का वाक्य प्रयोग ( Kolhu Ka Bail Muhawara)

 

1. गीतेश खेतों में रात-दिन में करता है।‌ वह कोल्हू के बैल की तरह काम करता है।

 

2. राघव ने घर के काम के लिए एक नौकर लगा रेखा। वह बेचारा कोल्हू के बैल की तरह काम करता है।

 

3. पहले लोग रात-दिन काम में लगे रहते थे। वे हरदम बहुत ही तेज गति से किसी न किसी कार्य में लगा रहता था।

 

4. विवेक ने कोल्हू के बैल की तरह मेहनत करके सरकारी नौकरी प्राप्त की है।

 

5. सुन्दरपाल ने कोल्हू के बैल की तरह कठोर परिश्रम करके अपनी पुत्री की शादी के लिए धन इकट्ठा किया।

 

 

कोल्हू का बैल मुहावरे की व्याख्या उदाहरण सहित समझिए

 

व्याख्या उदाहरण सहित

 

मिठुआ और गोलो नाम के दम्पति एक गांव में रहते थे। उनके एक पुत्र और एक पुत्री थी। उनके दोनों बच्चे पढ़ने में बहुत होशियार थे। बच्चे की बुद्धिमत्ता को देखकर दम्पति बहुत अधिक प्रसन्न होते। वे सोचते कि हमारे बच्चे पढ़-लिखकर एक अच्छी सरकारी नौकरी प्राप्त कर लेंगे जिससे हमारा नाम रोशन होगा।

 

दोनों बच्चों को मिठुआ और गोलो ने कोल्हू के बैल की तरह बहुत अधिक मेहनत करके पैसा इकट्ठा किया और पढ़ाया। दोनों बच्चों ने अपने माता-पिता की आशा को देखते हुए काफी मेहनत की। और वे प्रत्येक कक्षा में हमेशा ही प्रथम स्थान प्राप्त करके आते।

 

आखिरकार मेहनत रंग लाई और दोनों बच्चे सरकारी नौकरी में पदासीन हो जाते हैं। मिठुआ ने अपनी पुत्री की शादी कर दी और वह अपने ससुराल चली जाती है और अपना सुखी जीवन व्यतीत करती है।

 

कुछ समय बाद अपने पुत्र की शादी भी मिठुआ कर देता है। शादी होने के बाद मिठुआ के भाव बदल जाते हैं और वह पुराने समय को शीघ्र भूल जाता है । उनका पुत्र अपनी नवविवाहित पत्नी के साथ सुख से समय व्यतीत करता है लेकिन माता-पिता की सेवा बिल्कुल भी नहीं करता है।

 

मिठुआ और गोलों ने अपने पुत्र को दिन-रात मेहनत करके पढ़ाया उसका कोई लाभ प्राप्त नहीं हुआ। और बेचारे दर-दर भटकने लगते हैं। कुछ समय बाद दोनों पति-पत्नी का स्वर्गवास हो जाता है।

 

मुहावरे से शिक्षा

 

हमें “कोल्हू का बैल होना” मुहावरे से शिक्षा अवश्य लेनी चाहिए। जब कोई व्यक्ति कठोर परिश्रम करता है तो उसे उसका फल अवश्य मिलता है। लेकिन जिस तरह मिठुआ और गोलो का पुत्र अपने माता-पिता की नौकरी मिलने के बाद देखभाल नहीं कर पाता है।

हमें ऐसा कभी नहीं करना चाहिए। हमेशा माता-पिता की मरते दम तक सेवा करनी चाहिए।

 

हम आशा करते हैं कि आपको यह मुहावरा “कोल्हू का बैल होना” का भावार्थ समझ में आ गया होगा।

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पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद

 

 

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