हिन्दी व्याकरण में “आग लगने पर कुआं खोदना” (Aag Lagne Par Kuan Khodna) काफी प्रचलित और उपयोग में लाया जाने वाला मुहावरा है। जब किसी व्यक्ति के सामने मुश्किल आती है तो उसी समय उसका वह समाधान निकालता है। पहले से उस सम्भावित समस्या का का कोई उपाय नहीं करता है। उस समय इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है। इस लेख में इस मुहावरे का विस्तार से अध्ययन करेंगे।
अर्थ/ मतलब
अधिकतर लोगों का स्वभाव होता है कि अपने जीवन में सम्भावित समस्या का पहले से कोई उपाय नहीं किया जाता है। जब उसके सामने समस्या पैदा होती है तो वह जल्दीबाजी में कोई उपाय सोचने लगता है। जब व्यक्ति ऐसा करता है तो वह उस समस्या का निवारण नहीं कर पाता है और उसे हमेशा निराशा ही हाथ लगती है।
अतः मनुष्य को पहले से अपनी समस्या का कोई हल तैयार रखना चाहिए जिससे हमें किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े। आने वाली समस्या का समय पर निवारण हो सके।
1. कुछ विद्यार्थियों की आदत होती है कि जब परीक्षा नजदीक आ जाए तब पढ़ना शुरू करने की सोचते हैं। यानी आग लगने पर कुआं खोदते हैं।
2. राजू ने पहले पढ़ाई नहीं की। प्रतियोगी परीक्षा नजदीक आने पर पढ़ने की सोचता है। राजू पर ‘आग लगने पर कुआं खोदना ‘ मुहावरा सटीक बैठता है।
3. प्रवीण कक्षा बारहवीं का विद्यार्थी है।उसने पूरे साल पढ़ाई नहीं करता है । वह हमेशा आग लगने पर कुआं खोदता है।
4. कुछ लोग शरीर में कोई बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर इलाज नहीं कराते हैं। जब बीमारी बढ़ जाती है तो आग लगने पर कुआं खोदना।
एक गांव में एक गरीब परिवार रहता है। उनमें मोहन नाम का एक लड़का था। मोहन कोर्ट क्लर्क की नौकरी प्राप्त करना चाहता है। वह की वर्षों से परीक्षा की तैयारी करता चला आ रहा है। इस कोर्ट क्लर्क की नौकरी प्राप्त करने के लिए दो सोपानों से गुजरना होता है। पहला लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करना और दूसरा कम्प्यूटर पर टाइप करना होता था।
मोहन को कोई सफलता नहीं मिल रही थी। क्योंकि वह हमेशा “आग लगने पर कुआं खोदना” वाली आदत से ग्रस्त था। वह पूर्व में कोई पढ़ाई नहीं करता था। परीक्षा की तिथि घोषित होने पर वह किताब खरीदता और पढ़ाई शुरू करता था। साथ ही टाइपिंग का काम भी इसी समय करता था।
एक दिन उसका पुराना मित्र मिला। वह एक सरकारी नौकरी में उच्च पद पर कार्यरत था। उसने मोहन का हाल-चाल जाना। मोहन ने अपनी सारी स्थिति के बारे में जानकारी दी। उसकी सारी बातें सुनकर मोहन के मित्र ने उसे सफलता का राज बताया।
मित्र ने कहा कि सफलता ऐसे ही चलते-फिरते नहीं मिलती। इसके लिए कठोर परिश्रम करना पड़ता है। आप लगातार अपनी पढ़ाई और टाइपिंग का अभ्यास करते रहें। मोहन ने अबकी बार अपने मित्र की बात पर अमल किया और लगातार परिश्रम किया। दो वर्ष बाद क्लर्क की परीक्षा में उसे सफलता मिल गई। मोहन ने अपने मित्र को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया और कहा कि आपके बताए रास्ते पर चल कर मुझे सफलता प्राप्त हुई है।
“आग लगने पर कुआं खोदना” मुहावरे पर आधारित कहानी से हमें शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। हमें यदि सफलता प्राप्त करनी है तो लगातार और कठोर परिश्रम करना होगा। तभी जाकर जीवन में सफलता प्राप्त हो सकती है। अतः हमें समझना होगा कि ‘सफलता का कोई रहस्य नहीं होता, यह कठोर परिश्रम चाहती है।’ इस बात को अपने जीवन में गांठ बांध लें।
हम आशा करते हैं कि आपको “आग लगने पर कुआं खोदना” मुहावरा समझ में आ गया होगा। इसी तरह के लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट पर विजिट करते रहिए।
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