Reet phycology में बाल विकास का परिचय महत्वपूर्ण भाग है। आज हम बाल विकास किसे कहते हैं? बाल विकास की परिभाषाएं, Importance of Child Development, बाल मनोविज्ञान के संक्षिप्त Notes तैयार किये जा रहे हैं।
Reet Phycology बाल मनोविज्ञान
बाल विकास किसे कहते हैं?
“मनोविज्ञान की जिस शाखा में बच्चों का जन्म से लेकर परिपक्व अवस्था तक के विकास का अध्ययन किया जाता है, उसे बाल विकास कहते हैं।”
16 वीं शताब्दी तक बाल विकास में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ। 17वीं शताब्दी में मनोवैज्ञानिक काॅमेनियस (Johan Amos Comenius, 1628) ने School of Infancy की स्थापना की थी। इन्होंने बच्चों के लिए दो पुस्तकों की रचना भी की थी।
18वीं शताब्दी में कुछ दार्शनिकों और मनोवैज्ञानिकों ने बच्चों के बारे में अध्ययन किया। इसी सदी में 1774 में पेस्टोलॉजी नामक व्यक्ति ने अपने ही पुत्र जिसकी उम्र साढ़े तीन वर्ष थी उसका अध्ययन किया।
इसके बाद जर्मनी के एक चिकित्सक ने जिसका नाम टाइडमैन था। 1787 में अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास का निरीक्षण किया और उनके बारे में जानकारी प्रस्तुत की।
19 में शताब्दी में अमेरिका में बाल अध्ययन के बारे में आंदोलन चला। इस आंदोलन के जन्मदाता स्टैनले हॉल को माना जाता है जिन्होंने 1893 में इसका विवरण प्रस्तुत किया। इन्होंने दो संस्थाओं की स्थापना की जिनके नाम child study society और child welfare organisations थे।
प्रथम बाल ग्रह की स्थापना सन 1887 में न्यूयॉर्क में बाल अपराधियों को सुधारने के लिए की गई थी।
हरलाॅक के अनुसार
“आज बाल विकास में बालक के रूप, व्यवहार , रुचियां और लक्षण में होने वाले उन विशिष्ट परिवर्तनों की खोज पर बल दिया जाता है। जो उसके एक विकासात्मक अवस्था से दूसरे विकासात्मक अवस्था में पदार्पण करते समय होते हैं। बाल विकास में साथ ही साथ यह खोज करने का भी प्रयास किया जाता है कि यह परिवर्तन कब होते हैं, इसके क्या कारण है, और यह व्यक्तिगत हैं या सार्वभौमिक।”
आइजनेक के अनुसार
“बाल मनोविज्ञान का संबंध बालक में मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के विकास से है। इसमें गर्भकालीन अवस्था, जन्म, शैशवावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था और परिपक्वावस्था तक बालक की मनोवैज्ञानिक विकास प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।”
क्रो एंड क्रो के अनुसार
“बाल मनोविज्ञान वह वैज्ञानिक अध्ययन है जो व्यक्ति के विकास का अध्ययन गर्भकाल के प्रारंभ से किशोरावस्था की प्रारंभिक अवस्था तक करता है।”
जेम्स ड्रेवर के अनुसार
“बाल मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसमें जन्म से लेकर परिपक्वावस्था तक विकसित हो रहे मानव का अध्ययन किया जाता है।”
वर्तमान समय में बाल विकास का अध्ययन करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। बाल विकास का अध्ययन करने से उसके माता-पिता बालकों के बारे में उनके व्यवहार आदि को समझ सकते हैं। इसके बाद बालकों को अध्ययन करने वाले शिक्षक बाल विकास की सहायता से ही बच्चों को समझकर उन्हें उचित शिक्षा दे सकते हैं। बाल विकास की उपयोगिता को हम निम्न बिंदुओं द्वारा समझ सकते हैं।
1. बाल विकास के अध्ययन से बालकों के स्वभाव को समझने में सुविधा रहती है।
2. बालकों के शिक्षण और शिक्षा में उपयोगी होता है।
3. बालकों के लिए उपयुक्त वातावरण बनाने में उपयोगी होता है।
4. बच्चों के विकास को समझने में सहायक होता है।
5. बच्चों के व्यक्तित्व और विकास को समझने में उपयोगिता रहती है।
6. बालकों के व्यवहार के नियंत्रण में सहायक होता है।
7. सुखी पारिवारिक जीवन बनाने में उपयोगिता रहती है।
8. बाल निर्देशन में बाल विकास की महत्वपूर्ण भूमिका रहतीहै।
9. बाल विकास के अध्ययन से बाल विवाह के संबंध में पूर्व कथन करने में सहायता मिलती है।
10. इस प्रकार बाल विकास का अध्ययन करके बालकों को शैक्षिक व्यक्तिगत और व्यावसायिक रूप से निर्देशित कर सकते हैं।
इस प्रकार बालकों की रुचि के अनुसार योग्य और कुशल बनाया जा सकता है। इस प्रकार बाल विकास बच्चों के अध्ययन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण भाग है।
1. अधिगम पर बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास का मुख्य रूप से प्रभाव पड़ता है। बालक में जिस प्रकार समाज उत्पन्न होते जाती है वह उसी प्रकार से शिक्षा ग्रहण करने लगता है।
2. बालक के सामान्य विकास के लिए अधिगम बहुत आवश्यक है यदि अधिगम नहीं होगा तो बालक का विकास ठीक ढंग से नहीं हो पाएगा।
3. अधिगम करना या सीखना बालक तथा मनुष्य के लिए एक बहुत ही अनिवार्य तत्व है क्योंकि बालक जन्म से ही अपने परिवार और माता-पिता से कुछ ना कुछ सीखता रहता है और उसी के अनुसार समाज में वह अपना व्यवहार करता है।
4. इस पर कारण कह सकते हैं कि अधिगम व्यवहार में स्थाई और प्रगतिशील परिवर्तन है जो अभ्यास और अपने पूर्व के अनुभवों से प्राप्त होता है सीखने के द्वारा बालक नई-नई कार्यप्रणाली को उत्पन्न करता है और पूर्व में सीखे हुए ज्ञान को परिपक्व करता है।
परिवार : बालक की सबसे पहली पाठशाला परिवार होता है। परिवार में बालक अपनी मातृभाषा में सीखता है।
विद्यालय : विद्यालय में प्रवेश के बाद बालक विभिन्न बालकों के परिवेश में आते हैं। बालक में यहां धीरे-धीरे सामाजिक गुणों का विकास होता है।
वातावरण: अपने परिवेश में रहकर भी बालक अधिगम करता है।
1. व्यक्ति का विकास किसका परिणाम है ?
उत्तर : वंशानुक्रम और वातावरण का गुणात्मक रूप।
2. विकासात्मक मनोविज्ञान के प्रवर्तक कौन है?
उत्तर :- जीन पियाजे
3. बालकों के अध्ययन के संबंध में प्रथम पत्रिका pedogogical semenary का किसने संपादन किया?
उत्तर : स्टेनले हाल ने।
4. साइकोलॉजी शब्द की उत्पत्ति किस भाषा से हुई है?
उत्तर : लेटिन भाषा से।
5. एक बाल केंद्रित कक्षा में बच्चे सामान्य रूप से किस प्रकार सीखते हैं?
उत्तर : व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों रूपों में बच्चे सीखते हैं।
6. मनोविज्ञान के क्षण में बालकों का ध्यान रखा जाता है।
उत्तर : बालकों की क्षमता, रुचि और योग्यता इन सभी का समेकित रूप से ध्यान रखा जाता है।
7. अमेरिका में बाल अध्ययन आंदोलन का जन्मदाता कौन थे?
उत्तर : स्टेनले हाल
8. आधुनिक मनोविज्ञान में बाल मनोविज्ञान शब्द के स्थान पर किस शब्द का प्रयोग होने लगा है?
उत्तर : बाल विकास शब्द का प्रयोग होने लगा है।
9. Republic पुस्तक के लेखक कौन है?
उत्तर : प्लेटो।
10. Child welfare organisation की स्थापना किसने की थी?
उत्तर : स्टेनली हॉल ने।
11. The mind of the child नामक पुस्तक का प्रकाशन किसने करवाया?
उत्तर : प्रेयर (Prayer) ने।
12. डार्विन ने किस पुस्तक का प्रकाशन करवाया?
उत्तर : Biographical sketch of an infant का
13. क्रो एंड क्रो के अनुसार बाल मनोविज्ञान की परिभाषा क्या है?
उत्तर : “बाल मनोविज्ञान वह वैज्ञानिक अध्ययन है जो व्यक्ति के विकास का अध्ययन गर्भकाल के प्रारंभ से किशोरावस्था की प्रारंभिक अवस्था तक करता है।”
Top Education psychology Notes by Kanhaiya Singh/ REET 2025, Teacher first grade, Second Grade,
बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र नोट्स Part – 2
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