महात्मा गांधी ( Mahatma Gandhi) एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने देश के स्वतंत्रता के लिए अपना सारा जीवन लगा दिया था। ऐसे महान व्यक्तित्व का जन्म 2 अक्टूबर 1969 को पोरबंदर गुजरात में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। लोगों ने बापू का कर पुकारते थे। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था। माता का नाम पुतलीबाई था।
इनकी शादी 13 वर्ष की उम्र में कस्तूरबा गांधी से हो गई थी। महात्मा गांधी के चार पुत्र थे। उनके नाम हरिलाल, मणिलाल देवदास और रामदास था।
महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले थे। तथा उनके आध्यात्मिक गुरु राजचंद्र थे। गांधीजी वैष्णव परिवार से ताल्लुक रखते थे।
महात्मा गांधी ने मुंबई विश्वविद्यालय से मैट्रिक परीक्षा पास की।
उनके मूल भाषा गुजराती थी। लेकिन उनकी शिक्षा दीक्षा अंग्रेजी भाषा में हुई थी।
गांधी जी 1888 में बैरिस्टर करने के लिए इंग्लैंड चले गए। जुलाई 1891 में भारत लौटे।
1893 में महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में अपने कानून की पढ़ाई करने के बाद चले गए। वहां उन्होंने नस्लीय भेदभाव को देखा। अर्थात वहां गोरे लोग काले लोगों से भेदभाव करते थे।
जब वह अफ्रीका जा रहे थे तो उन पर फर्स्ट क्लास ट्रेन का टिकट था लेकिन गोरे लोगों ने उसे उस डिब्बे से बाहर निकाल दिया। क्योंकि फर्स्ट क्लास डिब्बा केवल गोरे लोगों अर्थात अंग्रेजों के लिए ही था उसमें भारतीय लोगों या अश्वेत लोगों को यात्रा करने की अनुमति नहीं थी।
22 में 1894 में गांधी जी नेटाल इण्डियन कांग्रेस की स्थापना की । और भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ने लगे। थोड़े समय में गांधीजी अफ्रीका में एक बहुत बड़े समूह के नेता बन चुके थे उनके काफी लोग अनुयायी हो चुके थे।
अच्छा पर अफ्रीका में लोगों को गौर काले के भेद से मुक्त करके 1915 में भारत वापस लौटे। अफ्रीका में 20 वर्ष से अधिक रहकर के उन्होंने भारतीय नागरिकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी थी।
1915 में महात्मा गांधी ने गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु बना कर के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए थे।
मां गांधी जी भारत आए उसे समय प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था तो गांधी जी ने युद्ध में घायल लोगों की सहायता की। लेकिन फिर भी उन्होंने देखा कि अंग्रेजों का भारत के लोगों के प्रति व्यवहार ठीक नहीं था।
1917 में गांधीजी चंपारण जाते हैं और वहां के किसानों की समस्या को सुनते हैं। चंपारण में किसानों से अंग्रेज नील की खेती करवाते थे तथा वहां पर तिनकठिया प्रथा प्रचलित थी । खेती का 2/3 हिस्सा अंग्रेजी ले जाते थे। वहां के किसने बच्चों और वहां की महिलाओं का अंग्रेज शोषण कर रहे थे।
गांधी जी ने उनकी समस्या को सुना और वहां के लोगों के साथ मिलकर के सत्याग्रह किया।क्षअंत में जाकर के अंग्रेजों को झुकना पड़ा और वहां के लोगों को इस प्रथा से मुक्त कराया।
गांधी जी ने 1918 में खेड़ा आंदोलन चलाया था तथा 1919 में खिलाफत आंदोलन और 1920 में सत्याग्रह आंदोलन चलाया था। इन आंदोलनों में काफी भारतीय युवा जुड़ते चले गए।
1920 के सत्याग्रह आंदोलन में गांधी जी ने अंग्रेजी वस्तुओं का यानी विदेशी वस्तुओं का पूर्ण रूप से बहिष्कार किया और लोगों को बहिष्कार करने के लिए कहा और तथा उनकी होली जलाई गई और भारत मैं बनी हुई वस्तुओं का उपयोग करने के लिए ही लोगों को कहा गया।
सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व भी महात्मा गांधी के द्वारा किया गया था।
इस आंदोलन की शुरुआत दांडी मार्च से की गई थी। इसमें साबरमती आश्रम के लगभग 78 लोगों के साथ 12 मार्च 1930 को 241 किलोमीटर लंबी यात्रा तय की। और वहां समुद्र तट पर जा करके नमक बनाने की प्रक्रिया शुरू की जिसे अंग्रेजों का नमक कानून तोड़ा।
1942 में महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन चलाया। 9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन चला करके करो या मरो का नारा दिया तथा अंग्रेजों भारत छोड़ो का करके भारत को कौन स्वतंत्र करने का संकल्प लिया।
30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की नाथूराम गोडसे ने हत्या कर दी थी।
इस प्रकार महात्मा गांधी 70 अहिंसा पर चल करके उन्होंने भारत देश को आजाद करवाया और ब्याज भी पूरे देश में राष्ट्रपिता के नाम से जाने जाते हैं ऐसी महान विभूति को हम भारतवासी शत-शत नमन करते रहे।
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